Monsoon Session: लोकसभा में आरक्षण से जुड़ा यह अहम विधेयक पास, विपक्षी दलों का भी मिला समर्थन, जानें इसके बारे में
संसद के मानसून सत्र में आज कई अहम बिल पेश किए जा रहे हैं, जिसमें संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 अहम है। इस बिल को विपक्षी दलों से भी समर्थन मिल गया है। डाइनामाइट न्यूज की रिपोर्ट में जानिये इस विधेयक के बारे में
नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र में आज कई अहम बिधेयक पेश किये जा रहे हैं। सोमवार को लोकसभा में 127वां संविधान संशोधन विधेयक, 2021 भी पेश किया जा रहा है, जो पिछले वर्गों यानि ओबीसी आरक्षण से जुड़ा हुआ विधेयक है। इस बिल को बेहद अहम माना जा रहा है, इसलिये कई विपक्षी दलों ने भी इस विधेयक को अपना समर्थन दिया है। इस बिल को लोकसभा में पास कर दिया गया है।
All Opposition parties will support The Constitution (One Hundred and Twenty-Seventh Amendment) Bill 2021 being introduced in Parliament today: Leader of Opposition in Rajya Sabha, Mallikarjun Kharge pic.twitter.com/hWCWIgrVQP
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— ANI (@ANI) August 9, 2021
केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉक्टर वीरेंद्र कुमार सोमवार द्वारा लोकसभा में आज संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया जा रहा है। डॉक्टर वीरेंद्र कुमार ने इस बिल को पेश कर दिया है लेकिन इसके बाद लोकसभा की कार्यवाही 12.30 बजे तक के लिये स्थगति कर दी गई। बाद में इस बिल को पास कर दिया गया। इसे विपक्षी दलों का भी समर्थन मिला।
इस विधेयक का मकसद है पिछड़े वर्गों की पहचान करने के लिए राज्यों की शक्ति को बहाल करना। इसके बिल तहत 102 वें संवैधानिक संशोधन विधेयक में कुछ प्रावधानों को स्पष्ट किया जाएगा। इस संसोधन की मांग कई क्षेत्रीय दलों के साथ-साथ सत्ताधारी पार्टी के ओबीसी नेताओं ने की है। वहीं विपक्षी पार्टियों ने कहा है कि वह इस संशोधन विधायक का समर्थन करेंगी।
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बता दें कि लोक सभा में पेश किया जा रहा यह नया विधेयक सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद लाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा था कि संविधान में 2018 के संशोधन के बाद सिर्फ केंद्र ही सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) को अधिसूचित कर सकता है। कोर्ट ने कहा था कि ये अधिकार राज्यों के पास नहीं है।
संसद में संविधान के अनुच्छेद 342-ए और 366(26) सी के संशोधन पर मुहर लगने के बाद राज्यों के पास ओबीसी वर्ग में अपनी जरूरतों के अनुसार जातियों को अधिसूचित करने का अधिकार होगा।