बिहार में 1.23 करोड़ से अधिक मनरेगा जॉब कार्ड निरस्त, बताई गयी ये वजह

डीएन ब्यूरो

बिहार सरकार ने पिछले एक साल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा)के तहत जारी 1.2 करोड़ से अधिक ‘निष्क्रिय’ जॉब कार्ड रद्द कर दिये हैं।

मनरेगा के 1.23 करोड़ जॉब कार्ड रद्द (फ़ाइल)
मनरेगा के 1.23 करोड़ जॉब कार्ड रद्द (फ़ाइल)


पटना: बिहार सरकार ने पिछले एक साल में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा)के तहत जारी 1.2 करोड़ से अधिक ‘निष्क्रिय’ जॉब कार्ड रद्द कर दिये हैं।

बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि सरकार ने इस अवधि के दौरान राज्य के विभिन्न जिलों में मजदूरों को 23.07 लाख नए जॉब कार्ड (9267 दिव्यांग लाभार्थियों सहित) प्रदान किए हैं।

उन्होंने बताया,‘‘ बिहार ग्रामीण विकास विभाग (30 अप्रैल तक) के एक अभियान के दौरान, 3,85,69,626 में से कुल 1,23,13,927 जॉब कार्ड पिछले कई वर्षों से निष्क्रिय पाए गए थे। कुछ मामलों में, जॉब कार्ड फर्जी पाए गए या प्रदान किए गए आधार नंबर से जुड़े नहीं थे, या लाभार्थियों की मृत्यु हो गई थी।’’

मंत्री ने कहा, 'हमने उचित भौतिक सत्यापन के बाद ऐसे सभी कार्ड रद्द कर दिए हैं। इसके अलावा, उन मजदूरों के कार्ड भी पिछले कई वर्षों से निष्क्रिय पाए गए हैं, जिन्होंने पहले मनरेगा के तहत मजदूरी प्राप्त की थी और राज्य से पलायन किया था। विभाग ने इससे पहले भी राज्य में निष्क्रिय जॉब कार्ड रद्द किए थे।’’

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उन्होंने कहा कि 2021-22 में 33.04 लाख, 2020-21 में 4.51 लाख और 2019-20 में 2.25 लाख जॉब कार्ड रद्द किए गए।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 (मनरेगा) का उद्देश्य एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों की रोजगार की गांरटी देना है ताकि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में परिवारों की आजीविका को सुरक्षा प्रदान किया जा सके।

रद्द किये गए जॉब कार्ड में सबसे अधिक संख्या वैशाली (8,89,150) के हैं और इसके बाद पटना (7,55,308), समस्तीपुर (6,30,654), अररिया (6,14,530), दरभंगा (5,79,778), औरंगाबाद (2, 20,330) और बेगूसराय (3,13,696) जिलों के हैं।

मंत्री ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि योजना के तहत, सरकार ने 2022-23 वित्तीय वर्ष में राज्य के विभिन्न हिस्सों में 1.26 करोड़ कार्डधारकों को काम दिया था। विभाग ने पिछले एक साल में राज्य के विभिन्न जिलों में मजदूरों को कुल 23.07 लाख नए जॉब कार्ड जारी किए हैं।

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उन्होंने कहा, 'इसके अलावा, संबंधित अधिकारियों को उनकी मांग के 15 दिनों के भीतर नौकरी चाहने वालों को योजना के तहत रोजगार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं और मनरेगा के दिशा-निर्देशों का पालन करने में विफल रहने पर संबंधित अधिकारियों पर जुर्माना लगाया जाएगा।'

राज्य सरकार द्वारा 1.23 करोड़ से अधिक ‘निष्क्रिय’ जॉब कार्ड रद्द किए जाने के फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बिहार इकाई के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, “यह वास्तव में आश्चर्यजनक है कि बिहार सरकार ने मनरेगा के तहत जारी किए गए 1.23 करोड़ से अधिक जॉब कार्ड रद्द कर दिए हैं। इन कार्ड धारकों को उनके कार्ड के आधार पर विगत वर्षों में सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत राशि प्रदान की गई होगी। बिहार सरकार ने अधिकारियों की मदद से भारी मात्रा में जनता के पैसे का दुरूपयोग किया है।’’

उन्होंने दावा किया, ‘‘ ऐसा प्रतीत होता है कि ये फर्जी मनरेगा जॉब कार्ड बनाए गए थे और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने (अधिकारियों और सत्ताधारी दल के नेताओं) फायदे के लिए पैसे निकालने के लिए इनका इस्तेमाल किया था।’’

भाजपा नेता ने आरोप लगाया, 'पूर्व में इन कार्ड का उपयोग करने के बाद अब वे इस घोटाले को छिपाने और दफनाने के लिए इन्हें रद्द कर रहे हैं। अपराध और भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ के नीतीश कुमार के दावे का पर्दाफाश हो गया है।'










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