अमेरिका में बढ़े हेट स्पीच के मामले, नफरत फैलाने के अपराधों पर पढ़ें ये ताजा रिपोर्ट

डीएन ब्यूरो

अमेरिका में 2021 में नफरत फैलाने वाले अपराध के मामलों में 12 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
फाइल फोटो


वाशिंगटन: अमेरिका में 2021 में नफरत फैलाने वाले अपराध के मामलों में 12 प्रतिशत बढ़ोतरी दर्ज की गई।

अमेरिका में न्याय मंत्रालय की एजेंसी ‘फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन’ (एफबीआई) ने यह जानकारी देते हुए इस बात को रेखांकित किया कि 64.5 प्रतिशत लोगों को नस्ल, उनकी जाति या वंश के कारण निशाना बनाया गया।

एजेंसी की ओर से सोमवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, दर्ज किए गए कुल अपराधों में से 43.2 प्रतिशत मामले डराने-धमकाने के थे।

एफबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ 2020 में राष्ट्रीय स्तर पर नफरत फैलाने वाले अपराध के मामले 8,120 थे, जो 2021 में 11.6 प्रतिशत बढ़कर 9,065 हो गए।’’

रिपोर्ट में सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा दर्ज किए गए ऐसे मामलों का शामिल किया गया है।

यह भी पढ़ें | अमेरिका में भारतीय मूल के व्यक्ति को मिली 33 महीने जेल की सजा, जानिये क्या था अपराध

एफबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पीड़ितों में से अधिकतर 64.5 प्रतिशत को नस्ल, उनकी जाति या वंश के कारण निशाना बनाया गया। अन्य 15.9 प्रतिशत को उनकी लैंगिक पसंद को लेकर और 14.1 प्रतिशत को धार्मिक पूर्वाग्रह के कारण निशाना बनाया गया।

अद्यतन आंकड़ों के अनुसार, 8,327 अपराधों में से 43.2 प्रतिशत डराने-धमकाने से, 35.5 प्रतिशत मामूली हमले और 20.1 प्रतिशत गंभीर हमले से जुड़े थे। वहीं नफरत के आधार पर हत्या के 18 मामले और बलात्कार के 19 मामले सामने आए।

कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी-सैन बर्नार्डिनो में ‘सेंटर ऑफ द स्टडी ऑफ हेट एंड एम्प’ के निदेशक ब्रायन लेविन ने बताया कि नफरत के आधार पर होने वाले अपराध दशकों में सबसे अधिक हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम एक ऐसे चिंताजनक दौर में हैं जहां नफरत वाले अपराध के मामले बढ़ रहे हैं...।’’

वेस्टर्न स्टेट्स सेंटर के चीफ ऑफ स्टाफ जिल गार्वे ने बताया कि धार्मिक मामलों में से पचास प्रतिशत मामलों में यहूदी लोगों को निशाना बनाया गया।

यह भी पढ़ें | ट्रंप के बयान पर विपक्ष का हंगामा.. रक्षा मंत्री बोले, कश्‍मीर पर मध्‍यस्‍थता का औचित्‍य ही नहीं

एफबीआई की सोमवार को जारी रिपोर्ट में ऐसे मामलों के सही तरीके से रिकॉर्ड रखने पर जोर दिया गया।

गार्वे ने कहा, ‘‘हमें अब भी उचित आंकड़े नहीं मिल पाए हैं, जिनसे कि इस समस्या के मूल कारण का पता लगाया जा सके।’’

दिसंबर में जारी पिछली रिपोर्ट में ऐसे मामलों में कमी इसलिए थी क्योंकि तब पुलिस को अपने आंकड़े एफबीआई को कैसे सौंपने हैं इसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं थी। अधिक स्पष्टता के लिए एजेंसी के अधिकारियों ने बड़े विभागों को पिछली प्रणाली के तहत रिपोर्ट देने की अनुमति दी।

एसोसिएट अटॉर्नी जनरल वनिता गुप्ता ने कहा, ‘‘नफरत के आधार पर अपराध और उनके कारण समुदायों को होने वाली परेशानी के लिए देश में कोई जगह नहीं है। न्याय मंत्रालय पूर्वाग्रह से ग्रस्त हिंसा के सभी रूपों से निपटने के लिए मौजूद हर संसाधन का इस्तेमाल करने को प्रतिबद्ध है।’’










संबंधित समाचार