यूरोपीय संघ के वन-कटाई नियमों के अनुपालन के लिए जागरूकता बढ़ाने की जरूरतः रिपोर्ट
भारत को यूरोपीय संघ के वन-कटाई नियमों (ईयूडीआर) के अनुपालन के लिए निर्यातकों के बीच जागरूकता बढ़ाने के साथ निगरानी एवं निरीक्षण की समुचित व्यवस्था भी लागू करनी चाहिए। एक रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: भारत को यूरोपीय संघ के वन-कटाई नियमों (ईयूडीआर) के अनुपालन के लिए निर्यातकों के बीच जागरूकता बढ़ाने के साथ निगरानी एवं निरीक्षण की समुचित व्यवस्था भी लागू करनी चाहिए। एक रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि यूरोपीय संघ के वन-कटाई नियमों से भारत के कृषि उत्पादों के निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। दिसंबर, 2024 से इस प्रावधान के चलते भारत से 1.3 अरब डॉलर का कृषि निर्यात बाधित हो सकता है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक, अन्य प्रतिस्पर्द्धी देशों की तुलना में भारत से यूरोपीय संघ को होने वाले कृषि निर्यात पर अधिक असर पड़ेगा। रिपोर्ट कहती है कि यूरोपीय संघ के वनों की कटाई पर रोक लगाने वाले नियमों की जटिल अनुपालन शर्तें भारतीय निर्यात को प्रभावित कर सकती हैं।
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यूरोपीय संघ की परिषद ने 16 मई, 2023 को वन-कटाई नियम को लागू करने का फैसला किया था। इसमें निर्यातकों के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को निर्यात किए जाने वाले उत्पाद वनों की कटाई से खाली हुई जमीन पर न तैयार किए गए हों।
जीटीआरआई के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, 'इस नियम के तहत अगर कोई भारतीय निर्यातक इस बात को लेकर आश्वस्त है कि अमुक कृषि उत्पाद वनों को काटकर खाली हुई जमीन में नहीं उगाया गया है तो भी उसे सभी अनुपालन शर्तों का पालन करना होगा।'
श्रीवास्तव ने कहा कि यूरोपीय संघ इस नियम को लागू कर सिर्फ आयात की लागत बढ़ाना चाहता है ताकि स्थानीय कृषि उत्पादकों को फायदा पहुंचाया जा सके।
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इस नियम के लागू होने पर भारत से निर्यात होने वाले कॉफी, चमड़ा, कागज और लकड़ी से बने फर्नीचर जैसे उत्पादों का कारोबार प्रभावित हो सकता है।