Assembly Polls: यूपी में अंतिम चरण की वोटिंग थमने के साथ विधानसभा चुनाव संपन्न, सियासी जोड़-तोड़ का गुणा-गणित शुरू, गठबंधन के विकल्पों की तलाश तेज
देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में आज सातवें और अंतिम चरण का मतदान खत्म हो गया है। आज वोटिंग थमने के साथ ही यूपी समेत देश के पांच राज्यों में सरकार बनाने को लेकर राजनीतिक पार्टियों का सियासी जोड़-तोड़ का गुणा-गणित शुरू हो गया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली/लखनऊ: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में आज सातवें और अंतिम चरण का मतदान खत्म हो गया है। यूपी के 9 जिलों में आज 54 विधानसभा सीटों के लिये वोट डाले गये। आज शाम 6 बजे वोटिंग थमने के साथ ही उत्तर प्रदेश समेत देश के पांच राज्यों में सत्ता स्थापित करने को लेकर राजनीतिक पार्टियों का सियासी जोड़-तोड़ और गुणा-गणित शुरू हो गया है। गठबंधन के उस्ताद भी सक्रिय होने लगे हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर सत्ता तक परहुंचने के समीकरण को आसान बनाया जा सके। सभी पार्टियां अपने नफा-नुकसान का आंकलन करने के साथ गठबंधन के विकल्प और अन्य फार्मूलों पर भी विचार करने लगे हैं।
यूपी में मतदान खत्म होने के साथ ही उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर की जनता भी अपने-अपने राज्यों में नई सरकार का इंतजार करने लगी है। हर पार्टी जीत का दावा कर रही है लेकिन सभी राज्यों के वास्तविक परिणाम 10 मार्च को ही आने वाले हैं। अब किस राज्य में किस पार्टी के सिर पर सेहरा सजेगा और राज्य का मुखिया बनेगा, इसका सभी को इंतजार है।
यूपी चुनाव के सातवें चरण की वोटिंग खत्म होने के साथ ही देश के पांच राज्यों के एग्जिट पोल भी सामने आने लगे है। अलग-अलग एक्जिट पोल में अलग-अलग दावे किये जा रहे हैं। एक्जिट पोल समेत आम जनता के बीच जिस राज्य की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड है। इन दोनों की राज्यों में भाजपा की सरकार है और सत्ताधारी पार्टी समेत आम मतदाता के मन में यह बड़ा सवाल है कि क्या भाजपा लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर कोई नया इतिहास लिखने में सफल हो सकेगी? यूपी में योगी और अखिलेश यादव में सीधी टक्कर बताई जा रही है, ऐसे में यह जानना भी ज्यादा दिलचस्प होता जा रहा है कि आखिर कौन किस पर भारी पड़ने वाला है।
यूपी की सत्ता के लिये बीजेपी गठबंधन और सपा गठबंधन के बीच सीधी और मुख्य लड़ाई मानी जा रही है। बसपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भी इस लड़ाई में शामिल हैं, लेकिन इन्हें भाजपा और सपा के मुकाबले ज्यादा ताकतवर नहीं माना जा रहा है। लेकिन यह भी सत्य है कि दो मुख्य दलों को बहुमत का जादुई आंकड़ा न मिलने पर इन तीनों दलों के से ही सत्ता की चाबी मिल सकती है। आम आदमी पार्टी और कांग्रेस हर हाल में भाजपा की राह रोकने को तैयार है। लेकिन बसपा किसी भी स्थिति में सपा को सत्ता में नहीं देखना चाहती है।
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मतदान खत्म होने के साथ ही तमाम तरह की चर्चाओं और अटकलें तेजी से गति पकड़ने लगी है। 10 मार्च को घोषित होने वाले चुनाव नतीजे से पहले राजनीतिक पार्टियां और सियासी पंडित कई तरह के फार्मूलों पर कार्य करने लगे है। सत्ता के लिये बढ़ती सियासी हलचलों के साथ जोड़तोड़ की कवायद भी तेज हो गई है। चुने जाने वाले संभावित विधायकों पर डोरे डालने और गठबंधन के लिये पार्टियों व नेताओं को मनाने के उपक्रम भी तेज होने लगे हैं। गठबंधन के कई उस्ताद भी राजनीतिक दलों का मन भांपने लगे हैं ताकि जरूरत पड़ने पर सत्ता का समीकरण आसानी से सुलझाया जा सके। फिलहाल सूबे में सभी दल सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन सत्ता किसको मिलेगी, इस सवाल का जबाव 10 मार्च को सामने आयेगा।