यूपी के बलिया में पक्षी अभ्यारण्य के ‘बफर जोन’ में इन गतिविधियों पर एनजीटी की रोक, जानिये पूरा मामला
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय को जय प्रकाश नारायण (सुरहा ताल) पक्षी अभ्यारण्य के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र के भीतर भूमि के किसी भी हिस्से पर आगे निर्माण करने से रोक दिया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय को जय प्रकाश नारायण (सुरहा ताल) पक्षी अभ्यारण्य के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र के भीतर भूमि के किसी भी हिस्से पर आगे निर्माण करने से रोक दिया है।
न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य अफरोज अहमद की पीठ ने कहा कि पूर्व में गठित समिति की रिपोर्ट से यह स्थापित होता है कि प्रशासनिक, अकादमिक, पुस्तकालय और वाणिज्यिक भवन तथा एससी/एसटी छात्रावास का निर्माण अभ्यारण्य की सीमा से एक किलोमीटर के पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ईएसजेड) के भीतर किया जा रहा है।
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पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह निर्माण ‘अनुचित’ है और यह वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम और राष्ट्रीय आर्द्रभूमि (संरक्षण एवं प्रबंधन) नियमों का उल्लंघन करता है।
पीठ ने कहा, “रजिस्ट्रार को निर्देश दिया जाता है कि जय प्रकाश नारायण (सुरहा ताल) पक्षी अभ्यारण्य की सीमा से एक किलोमीटर के ईएसजेड क्षेत्र के भीतर आने वाली भूमि के किसी भी हिस्से पर आगे कोई निर्माण न करें।”
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पीठ ने जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक और काशी वन्यजीव प्रभाग के प्रभागीय वन अधिकारी को यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का भी निर्देश दिया कि ईएसजेड में आगे कोई निर्माण न हो।
अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 20 अप्रैल की तारीख तय की है।