Clean Ganga Mission: अब मछलियों के जरिए 'गंगा' की स्वच्छता का पता लगाएगी सरकार,
गंगा नदी पर फरक्का बैराज बनने के बाद धीरे-धीरे लोगों की थाली से गायब हुई हिलसा मछली आने वाले समय में लोगों की थाली में फिर से लौट सकती है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
प्रयागराज: गंगा नदी पर फरक्का बैराज बनने के बाद धीरे-धीरे लोगों की थाली से गायब हुई हिलसा मछली आने वाले समय में लोगों की थाली में फिर से लौट सकती है।
करीब 30,000 हिलसा मछली बैराज के नीचे से लाकर ऊपर (अपस्ट्रीम में) छोड़ी गई और कुछ दिन पहले यह मछली उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में देखी गई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के सलाहकार डाक्टर संदीप बेहरा ने बताया कि हिलसा मछली के मिर्जापुर पहुंचने से पता चलता है कि यह ऊर्ध्वप्रवाह में बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इससे संकेत मिलता है कि गंगा धीरे-धीरे स्वच्छ हो रही है और इसमें ऑक्सीजन का स्तर बढ़ रहा है, क्योंकि हिलसा मछली बहुत तेज भागती है और इसे बहुत अधिक ऑक्सीजन को जरूरत पड़ती है।
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नेहरू ग्राम भारती और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-केंद्रीय अंतर्देशीय मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सिफरी), बैरकपुर द्वारा यहां आयोजित एक संगोष्ठी में शामिल होने आए बेहरा ने बताया कि फरक्का बैराज में पहले ‘फिश लैडर’ हुआ करता था, जिससे हिलसा मछली ऊपर आती थी, लेकिन काफी वर्षों से इसका गेट खराब पड़ा था। उन्होंने बताया कि अब इस गेट को बदला जा रहा है, जिससे मछली आसानी से ऊपर आ सकेगी।
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही जलयान मार्ग में भी ‘फिश लैडर’ की व्यवस्था की जा रही है, जिससे हुगली नदी से जो मछली ऊपर नहीं आ पा रही थी, वह भी ऊपर आ सकेगी। उन्होंने कहा कि हिलसा मछली समुद्र में रहती है और मीठे पानी में आकर अंडे देती है, लेकिन 1971-72 में बैराज बनने की वजह से वह अंडे देने के लिए ऊर्ध्वप्रवाह में नहीं आ पा रही थी।
बेहरा ने बताया कि ‘फिश लैडर’ की निविदा जारी हो चुकी है और छह-सात महीने में इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा तथा ऐसी संभावना है कि इस साल के अंत तक ‘फिश लैडर’ बदलने का काम पूरा हो जाएगा।
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उल्लेखनीय है कि हिलसा मछली पश्चिम बंगाल, असम, त्रिपुरा, ओडिशा आदि राज्यों में बहुत लोकप्रिय है और इसकी कीमत 1200 रुपये से 3000 रुपये प्रति किलो तक है।