स्वतंत्रता सेनानी जवाहरलाल दर्डा की जन्मशती पर सरकार जारी करेगी 100 रूपये का स्मारक सिक्का, जानिये उनके बारे में

डीएन ब्यूरो

बाबूजी के नाम से प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और प्रखर गांधीवादी राजनेता जवाहरलाल दर्डा की जन्मशती पर भारत सरकार द्वारा 100 रूपये का स्मारक सिक्का जारी किया जायेगा। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

स्वतंत्रता सेनानी जवाहरलाल दर्डा की स्मृति में जारी होगा 100 रुपये का सिक्का (फाइल फोटो)
स्वतंत्रता सेनानी जवाहरलाल दर्डा की स्मृति में जारी होगा 100 रुपये का सिक्का (फाइल फोटो)


जयपुर/नई दिल्ली:  प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर गांधीवादी राजनेता, पत्रकार और लोकमत पत्र समूह के संस्थापक जवाहर लाल दर्डा (बाबूजी) की जन्मशताब्दी के अवसर पर भारत सरकार 100 रुपये का स्मारक सिक्का जारी करेगी। केंद्रीय वित्त मंत्रालय के आर्थिक विभाग ने सिक्का जारी करने के लिये जरूरी गजट नोटिफिकेशन बुधवार को जारी कर दिया है। 

सिक्कों का संग्रह और अध्ययन करने वाले सुधीर लुणावत के अनुसार जवाहर लाल दर्डा की स्मृति में जारी होने वाले 100 रुपये के सिक्के का कुल वजन 35 ग्राम होगा जिसमे 50 प्रतिशत चांदी, 40 प्रतिशत तांबा, 5 प्रतिशत निकल और 5 प्रतिशत जस्ते का मिश्रण होगा। इस सिक्के की गोलाई 44 मिलीमीटर होगी।

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सुधीर के अनुसार सिक्के के अग्र भाग पर जवाहर लाल दर्डा के फोटो के ऊपर देवनागरी में जवाहर लाल दर्डा की जन्म शताब्दी लिखा होगा। वही फोटो के नीचे अंग्रेजी में Birth Centetnary of Shri Jawaharlal Darda लिखा होगा तथा फोटो के दाएं और बाएं 1923-2023 लिखा होगा। वही सिक्के के दूसरी तरफ अशोक स्तम्भ के दाएं और बाएं भारत -INDIA लिखा होगा व अशोक स्तम्भ के नीचे अंकित मूल्य 100 लिखा होगा।

यह सिक्का 2 जुलाई 2023 को जवाहर लाल दर्डा की जन्म जयंती के दिन पर जारी होने की संभावना है। यह एक स्मारक सिक्का होगा।इस सिक्के का निर्माण भारत सरकार के मुंबई स्थित टकसाल में होगा। जारी होने के बाद भारत सरकार की टकसाल द्वारा इस सिक्के को एक संग्रहणीय वस्तु की तरह बिक्री किया जाएगा। देश विदेश में बाबूजी के चाहने वाले और सिक्कों के संग्रहकर्ता इसे एक धरोहर के रूप में सहेजकर रखेंगे।

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जवाहर लाल दर्डा बाबूजी का जन्म 2 जुलाई 1923 को हुआ था। वे महात्मा गांधी से प्रेरित होकर किशोरावस्था में ही स्वतंत्रता में कूद पड़े थे। वे 1972 से 1995 तक चार बार महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य रहे। वे स्वतंत्रता होने के अलावा राजनेता, गांधीवादी, एक समाजसेवी, कुशल प्रशासक शिक्षाविद् और पत्रकार भी थे।

उन्होंने 1952 में लोकमत पत्र की नींव एक साप्ताहिक अखबार के रूप में रखी थी। लोकमत 1971 से दैनिक के रूप में प्रकाशित होने लगा। बाबूजी का निधन 25 नवंबर 1997 को हुआ। लोकमत का पुणे संस्करण इस साल अपना स्वर्ण जयंती वर्ष मना रहा है।










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