पेटा ने प्रस्तावित नयी संहिता में जानवरों के खिलाफ यौन हिंसा से जुड़े प्रावधान की गैर मौजूदगी पर चिंता जताई

डीएन ब्यूरो

पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स (पेटा) ने प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता में जानवरों के खिलाफ यौन हिंसा से जुड़े प्रावधान की गैर मौजूदगी पर गृह मामलों की समिति के समक्ष चिंता जताई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स
पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स


नयी दिल्ली: पीपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनीमल्स (पेटा) ने प्रस्तावित भारतीय न्याय संहिता में जानवरों के खिलाफ यौन हिंसा से जुड़े प्रावधान की गैर मौजूदगी पर गृह मामलों की समिति के समक्ष चिंता जताई है।

प्रस्तावित संहिता, भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह लेने वाली है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक पशु अधिकार संस्था पेटा ने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 377 वर्तमान में जानवरों के खिलाफ यौन हिंसा से संबंधित है।

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पेटा ने 14 सितंबर को गृह मामलों की समिति को लिखे एक पत्र में कहा, ‘‘भारतीय न्याय संहिता-2023 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जो जानवरों को समान सुरक्षा प्रदान करता हो।’’

उच्चतम न्यायालय ने 2018 में आईपीसी की धारा 377 को आंशिक रूप से रद्द कर दिया था, लेकिन जानवरों, बच्चों और अन्य लोगों के लिए सुरक्षा को बरकरार रखा था।

शीर्ष अदालत ने कहा था, ‘‘धारा 377 के प्रावधान वयस्कों के साथ सहमति के बगैर यौन कृत्यों, नाबालिगों के साथ शारीरिक संबंध के सभी कृत्यों और अन्य पाशविक कृत्य को नियंत्रित करेंगे।’’

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पेटा की दूसरी सिफारिश भारतीय न्याय संहिता, 2023 के खंड 323 का विस्तार करना है, जिसमें ‘अपंग करना’ या ‘किसी भी जानवर को अनुपयोगी करना’ को परिभाषित किया गया है, ताकि प्रावधान को अक्षरश: लागू किया जा सके।

 










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