वाई.वी. रेड्डी: केंद्रीय बैंक के पास व्यापक आजादी नहीं
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आजाद है, लेकिन इसकी आजादी की सीमा सरकार ने निर्धारित कर रखी है। यह बात आरबीआई के पूर्व गवर्नर वाई.वी. रेड्डी ने कही।
नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आजाद है, लेकिन इसकी आजादी की सीमा सरकार ने निर्धारित कर रखी है। यह बात आरबीआई के पूर्व गवर्नर वाई.वी. रेड्डी ने कही। उनका मानना है कि केंद्रीय बैंक को व्यापक आजादी हासिल नहीं है। उनकी यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है, जब आरबीआई की आजादी को लेकर बहस जारी है। यह टिप्पणी उन्होंने अपनी आत्मकथा ‘एडवाइस एंड डिस्सेंट (हार्पर कॉलिंस इंडिया)’ में की है। उन्होंने सरकार के केंद्रीय बैंक के बीच के महत्वपूर्ण रिश्तों को तलवार के धार पर चलने के समान बताया है।
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रेड्डी ने इस किताब में कहा है कि सभी देशों में और हरेक दौर में सरकार और केंद्रीय बैंक का रिश्ता नाजुक रहा है।उन्होंने कहा, रिजर्व बैंक की स्वायत्तता और सरकार के उत्तरदायित्व के बीच के रिश्ते को परिभाषित करना बेहद कठिन है और व्यवहार में बेहद जटिल है।नौकरशाह से केंद्रीय बैंकर बने रेड्डी ने कहा कि आरबीआई-सरकार के रिश्तों में गतिविधियों का तीन संचालन क्षेत्र हैं जिनमें परिचालन मुद्दे, नीतिगत मुद्दे और संरचनात्मक सुधार शामिल है।
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उन्होंने कहा कि जहां तक परिचालन संबंधी मुद्दों का सवाल है, तो वे इसके फैसले की आजादी पर जोर देते हैं और नीतिगत मुद्दों पर विवाद से बचने तथा नीतियों से सद्भाव सुनिश्चित करने के लिए सरकार से सलाह लेने पर जोर देते हैं और जहां तक संरचनात्मक सुधार को सवाल है, तो उनका मानना है कि सरकार के साथ बहुत निकट समन्वय में विश्वास रखते हैं।
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उनका कहना है, सरकार के साथ बातचीत के दौरान मुझे कभी-कभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर दृढ़ रुख अपनाना पड़ता था। असाधारण स्थिति में केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता महत्वपूर्ण है। इसके अलावा कानून जनहित में सरकार को लिखित निर्देश देने का अधिकार प्रदान करता है।
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रेड्डी ने कहा, आरबीआई के मामले में हालांकि गवर्नर की सलाह लेना अनिवार्य है। लेकिन महत्वपूर्ण मसलों पर जहां दोनों की राय अलग-अलग हो, तो प्राय: बिना किसी लिखित निर्देश के गवर्नर की स्वायत्तता ही चलती है। परंपरा के मुताबिक, सरकार और गर्वनर दोनों ने ही अभी तक किसी लिखित निर्देश का उपाय नहीं अपनाया है। (एजेंसी)