कोविड-19 रोधी टीके को लेकर पढ़ें ये जरूरी रिपोर्ट, मोटापे से ग्रस्त लोगों में हो रहा ये बदलाव

डीएन ब्यूरो

कोविड-19 रोधी टीके बहुत प्रभावकारी हैं, लेकिन कुछ समूहों के लिए वे एक मजबूत प्रतिरक्षा उत्पन्न नहीं करते, जिनमें उम्रदराज लोग और वे व्यक्ति शामिल हैं जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय


कैम्ब्रिज: कोविड-19 रोधी टीके बहुत प्रभावकारी हैं, लेकिन कुछ समूहों के लिए वे एक मजबूत प्रतिरक्षा उत्पन्न नहीं करते, जिनमें उम्रदराज लोग और वे व्यक्ति शामिल हैं जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है। जैसे कि कैंसर या अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोग, जिन्हें पहले से ही कोविड-19 की अधिक जोखिम वाली श्रेणी में रखा गया है।

इसी तरह मोटापा और ‘टाइप 2’ मधुमेह, उच्च रक्तचाप तथा गुर्दे (किडनी) की बीमारी जैसे कई अन्य रोगों से इसका संबंध होने के चलते कोरोना वायरस का गंभीर संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है।

हालांकि, कोविड-19 रोधी टीके की प्रभावशीलता पर मोटापे के असर को भलीभांति समझा नहीं गया है। लेकिन ‘नेचर मेडिसिन’ में प्रकाशित हमारे नए अध्ययन में यह पता लगाया गया है कि मोटापे के कारण कोविड-19 रोधी टीकों से मिली प्रतिरक्षा तेजी से घटती है।

हम जानते हैं कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में इंफ्लुएंजा, रेबीज और हेपेटाइटिस समेत अन्य टीकों से मिली प्रतिरक्षा कम होती है।

कोविड-19 रोधी टीके एंटीबॉडीज पैदा करते हैं जो इस संक्रमण के लिए जिम्मेदार वायरस सार्स-कोवि-2 की सतह पर मौजूद प्रोटीन की पहचान करता है जो इस वायरस को हमारी कोशिकाओं को संक्रमित करने में मदद करता है।

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कोविड-19 रोधी टीकों की दो खुराकों से मिली प्रतिरक्षा चूंकि कुछ महीनों बाद खत्म हो जाती है तो इसलिए कई देशों में प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिए बूस्टर खुराक दी गयी।

कई अध्ययनों से पता चला है कि कोविड टीके के बाद मोटापे से ग्रस्त लोगों में सामान्य लोगों की तुलना में एंटीबॉडीज का स्तर घट सकता है।

महामारी के दौरान हमने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय तथा एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं का एक दल बनाया ताकि समय बीतने पर टीके की प्रभावशीलता पर मोटापे के असर का अध्ययन किया जा सके।

उन्होंने पाया कि गंभीर मोटापे (40 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स) से ग्रस्त लोगों के कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती होने तथा मौत होने का जोखिम 76 प्रतिशत अधिक था।

हमारे दल ने गंभीर रूप से मोटापे से ग्रस्त लोगों पर तीसरी खुराक या बूस्टर खुराक के असर का पता लगाने के लिए प्रयोग किए।

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हमने मोटापे से ग्रस्त 28 लोगों की तुलना सामान्य वजन वाले 41 लोगों से की। सभी लोगों के बूस्टर खुराक लेने से पहले एंटीबॉडीज का स्तर एक समान था लेकिन ज्यादा मोटे लोगों में वायरस का मुकाबला करने वाली एंटीबॉडीज की क्षमता कम पायी गयी।

ब्रिटेन की तीन प्रतिशत तथा अमेरिका की नौ प्रतिशत आबादी अत्यधिक मोटापे ग्रस्त है जिसे देखते हुए इस अध्ययन का महत्वपूर्ण असर है। वजन कम करने से कोविड-19 रोधी टीकों की प्रभावकारिता में सुधार लाया जा सकता है लेकिन इसकी पड़ताल करने के लिए हमें और अध्ययन की जरूरत है।

सबसे पहले यह कि कोविड की बूस्टर खुराक इस समूह के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकती है। हमारे अध्ययन में, मोटापे से ग्रस्त लोगों को कोविड के गंभीर संक्रमण से बचाने के लिए लक्षित हस्तक्षेप को रेखांकित किया गया है।










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