पढ़िये तनिष्का सुजीत की ये प्रेरक कहानी, पंख अभी छोटे लेकिन ऊंची उड़ान के हौसले बुलंद
मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने वाली तनिष्का सुजीत के घर की एक दीवार पर ढेरों मेडल और सर्टिफिकेट टंगे हैं। बहुत-सी तस्वीरें भी हैं, जिनमें वह अवॉर्ड लेती दिखाई दे रही हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: मध्य प्रदेश के इंदौर की रहने वाली तनिष्का सुजीत के घर की एक दीवार पर ढेरों मेडल और सर्टिफिकेट टंगे हैं। बहुत-सी तस्वीरें भी हैं, जिनमें वह अवॉर्ड लेती दिखाई दे रही हैं। इस संग्रह में हाल ही में एक और तस्वीर शामिल हो गई, जब तनिष्का ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की और उन्हें देश का प्रधान न्यायाधीश बनने के अपने इरादे के बारे में बताया।
तनिष्का का नाम इन दिनो सुर्खियों में है और हो भी क्यों न, उनकी उपलब्धियों ने उन्हें इस लायक बनाया है। ‘इंडिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ और ‘एशिया बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड’ में अपना नाम दर्ज करवाने वाली तनिष्का ने 11 साल की उम्र में 10वीं की बोर्ड परीक्षा और 13 साल की उम्र में 12वीं की बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण की। वह 15 साल की हैं और देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय से बीए साइकोलॉजी की अंतिम वर्ष की परीक्षा देने जा रही हैं। तनिष्का अमेरिका जाकर कानून की पढ़ाई करना चाहती हैं।
20 जुलाई 2007 को सुजीत चंद्रन अवस्थी और अनुभा अवस्थी के यहां जन्मी तनिष्का सुजीत ने बताया कि उन्होंने पांचवीं तक की पढ़ाई सामान्य तरीके से की, लेकिन इस दौरान उनके माता-पिता को लगा कि उनमें अपनी उम्र के अन्य बच्चों से कहीं ज्यादा प्रतिभा है। लिहाजा उनके पिता ने उन्हें सीधे दसवीं की परीक्षा दिलाने का फैसला किया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार तनिष्का ने बताया कि उनके पिता कोचिंग सेंटर का संचालन करते थे और दसवीं और 12वीं के विद्यार्थियों को पढ़ाते थे। तनिष्का को अपने पाठ्यक्रम के बजाय दसवीं और 12वीं का पाठ्यक्रम पढ़ने में ज्यादा मजा आता था। उनके पिता ने यही देखकर उन्हें पहले दसवीं और फिर 12वीं कक्षा की परीक्षा दिलाई, जिसमें वह सफल रहीं।
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यह पूछे जाने पर कि वह कानून की पढ़ाई करना चाहती हैं, तो साइकोलॉजी विषय में दाखिला क्यों लिया, तनिष्का बताती हैं कि नियम के अनुसार वह 18 वर्ष से कम उम्र में कानून की पढ़ाई नहीं कर सकतीं, इसलिए उन्होंने स्नातक स्तर की पढ़ाई के लिए इस विषय को चुना।
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करने वाली तनिष्का की खुशी इन दिनों सातवें आसमान पर है। वह सबको प्रधानमंत्री के साथ अपनी मुलाकात के बारे में बड़े उत्साह से बताती हैं। वह यह भी बताती हैं कि प्रधानमंत्री ने उनसे सवाल किया वह उनसे क्या सीख सकते हैं।
तनिष्का कहती हैं, ‘‘मैं प्रधानमंत्री का यह सवाल सुनकर हैरान रह गई कि ‘मैं आपसे क्या सीख सकता हूं।’ वह देश के प्रधानमंत्री हैं और मुझे उनसे ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी। मैंने उन्हें बताया कि कड़ी मेहनत और समर्पण, लेकिन साथ ही कहा कि यह सब आपमें मुझसे कहीं ज्यादा है।’’
तनिष्का ने प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि वह विदेश जाकर कानून की पढ़ाई करना चाहती हैं, तो प्रधानमंत्री ने उनसे सवाल किया कि विदेश जाकर क्यों? इस पर तनिष्का ने कहा कि वह विदेशी कानून पढ़ना चाहती हैं और देश की प्रधान न्यायाधीश बनना चाहती हैं। उनकी इस बात पर प्रधानमंत्री ने यह कहकर उनका हौंसला बढ़ाया कि वह एक बार उच्चतम न्यायालय जाकर अपनी चेयर देखकर आएं।
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प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात के दौरान तनिष्का की मां अनुभा अवस्थी भी उनके साथ थीं। अनुभा ने बताया कि पिछले तीन बरस उन पर बहुत भारी गुजरे। 2020 में तीन महीने के भीतर उन्होंने तनिष्का के पिता, दादा और नाना को खो दिया, लेकिन उन्होंने इन सदमों के बावजूद तनिष्का की पढ़ाई में कोई रुकावट नहीं आने दी और उसे अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहने के लिए प्रेरित किया।
इंदौर के सांसद शंकर लालवानी का कहना है कि तनिष्का एक अद्भुत बच्ची है और पूरे विश्व में भारत का नाम रोशन करने की प्रतिभा रखती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तनिष्का से मुलाकात के बाद लालवानी को ताकीद की कि वह इंदौर की इस होनहार बेटी का ध्यान रखें और आगे बढ़ने में हरसंभव योगदान दें।
तनिष्का के सपनों की उड़ान बहुत ऊंची है और मुमकिन है कि एक दिन ऐसा भी आए, जब उनका सपना सच हो जाए और एक बार फिर इसी तरह उनकी उपलब्धियों की चर्चा हो।