सहकारी क्षेत्र में अनाज भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए एक लाख करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी

डीएन ब्यूरो

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण क्षमता बनाने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के कार्यक्रम को मंजूरी दी। इस योजना का मकसद देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना, फसल नुकसान को कम करना और किसानों को संकट के समय में की जाने वाली बिक्री पर रोक लगाना है।

अनाज भंडारण (फाइल)
अनाज भंडारण (फाइल)


नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण क्षमता बनाने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के कार्यक्रम को मंजूरी दी। इस योजना का मकसद देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना, फसल नुकसान को कम करना और किसानों को संकट के समय में की जाने वाली बिक्री पर रोक लगाना है।

सरकार अगले पांच वर्षों में सहकारी क्षेत्र में 700 लाख टन अनाज भंडारण क्षमता बनाने की योजना बना रही है। सरकार ने कहा कि इस कदम से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने में भी मदद मिलेगी।

सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने मंत्रिमंडल की बैठक में किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि मंत्रिमंडल ने सहकारिता क्षेत्र में ‘दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना’ को मंजूरी दे दी है।

निवेश के बारे में, उन्होंने कहा कि कार्यक्रम ‘‘लगभग एक लाख करोड़ रुपये के खर्च के साथ’’ शुरू होगा।

योजना के तहत प्रत्येक प्रखंड में 2000 टन क्षमता का गोदाम स्थापित किया जाएगा।

इससे सहकारी क्षेत्र को मजबूत करने में मदद मिलेगी, क्योंकि प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) खाद्यान्न भंडारण में विविधता ला सकती हैं। देश में एक लाख पैक्स हैं, जिनमें से लगभग 63,000 परिचालन में हैं।

ठाकुर ने कहा कि देश का खाद्यान्न उत्पादन लगभग 3,100 लाख टन है, जबकि भंडारण क्षमता कुल उत्पादन का केवल 47 प्रतिशत ही है।

उन्होंने कहा कि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में, भंडारण क्षमता उत्पादन की मात्रा से कहीं अधिक होती है।

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वित्तपोषण के स्रोत के बारे में पूछे जाने पर, ठाकुर ने कहा कि कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालयों में उपलब्ध कोष का उपयोग इसके लिए किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में, देश में अनाज भंडारण क्षमता फिलहाल 1,450 लाख टन है। अब सहकारिता क्षेत्र में 700 लाख टन की भंडारण क्षमता को स्थापित किया जायेगा। इससे कुल भंडारण क्षमता बढ़कर 2,150 लाख टन हो जाएगी।

क्षमता निर्माण के लाभों के बारे में, मंत्री ने कहा कि स्थानीय स्तर पर विकेंद्रीकृत भंडारण क्षमता के निर्माण से खाद्यान्न की बर्बादी कम होगी और देश की खाद्य सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी।

उन्होंने कहा कि इससे खरीद केंद्रों तक अनाज की ढुलाई और फिर गोदामों से राशन की दुकानों तक स्टॉक ले जाने में जो लागत आती है, उसमें भारी कमी आएगी।

एक सरकारी बयान के अनुसार, मंत्रिमंडल ने कृषि मंत्रालय, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं को जोड़ते हुए 'सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी अनाज भंडारण योजना' की सुविधा के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समिति (आईएमसी) के गठन को मंजूरी दी।

योजना का समयबद्ध और एकसमान कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए, सहकारिता मंत्रालय विभिन्न राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के कम से कम 10 चयनित जिलों में पायलट आधार पर परियोजना लागू करेगा।

पायलट परियोजना से विभिन्न क्षेत्रीय आवश्यकताओं के बारे में बहुमूल्य जानकारी प्राप्त होगी। इससे प्राप्त जानकारी के आधार पर योजना को देश भर में लागू किया जाएगा।

आईएमसी का गठन सहकारिता मंत्री की अध्यक्षता में किया जाएगा। इसमें कृषि मंत्री, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री और संबंधित सचिव सदस्य होंगे।

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योजना को, संबंधित मंत्रालयों की चिन्हित योजनाओं के तहत प्रदान किए गए उपलब्ध परिव्यय का उपयोग कर लागू किया जाएगा।

योजना के तहत परस्पर तालमेल कायम करने के लिए योजनाओं की पहचान की गई है। इसमें कृषि मंत्रालय में कृषि अवसंरचना निधि (एआईएफ), कृषि विपणन अवसंरचना योजना (एएमआई), एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) और कृषि यंत्रीकरण पर उप मिशन (एसएमएएम) जैसी योजनाएं हैं।

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय के तहत पहचान की गई योजनाओं में - प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) और प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (पीएमकेएसवाई) शामिल हैं।

उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत खाद्यान्न के आवंटन के कार्यक्रमों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद संचालन जैसी योजनाओं की पहचान की गई है।

बयान में कहा गया है, ‘‘यह योजना बहु-आयामी है - इसका उद्देश्य पैक्स के स्तर पर गोदामों की स्थापना की सुविधा देकर न केवल देश में कृषि भंडारण बुनियादी ढांचे की कमी को दूर करना है, बल्कि पैक्स को अन्य गतिविधियों में शामिल होने के लिए भी सक्षम बनाना है।‘‘

 

 










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