यूपी की ट्रेन में बम विस्फोट केस में ISIS से जुड़े सात आतंकवादियों को फांसी की सजा, जानिये पूरा मामला
लखनऊ में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने 2017 में उत्तर प्रदेश में एक ट्रेन के अंदर बम विस्फोट सहित अन्य आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े मामले में आईएसआईएस से जुड़े सात आंतकवादियों को मौत की सजा और उनके एक सहयोगी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: लखनऊ में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने 2017 में उत्तर प्रदेश में एक ट्रेन के अंदर बम विस्फोट सहित अन्य आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े मामले में आईएसआईएस से जुड़े सात आंतकवादियों को मौत की सजा और उनके एक सहयोगी को उम्रकैद की सजा सुनाई है। एक अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि गुजरात में एनआईए की एक अन्य विशेष अदालत ने लोगों को कट्टरपंथी बनाने और वैश्विक आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) के नाम पर देश में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए युवाओं की भर्ती करने के दोषी दो भाइयों को दस साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
एनआईए ने दोनों फैसलों को सबूतों पर आधारित जांच की अपनी परंपरा में ‘एक और मील का पत्थर’ करार दिया।
जांच एजेंसी ने कहा, “दोनों मामले अभियुक्तों को इंटरनेट के माध्यम से आईएसआईएस के नाम पर कट्टर बनाने और देश में हिंसक ‘जिहाद’ व आतंकवादी हमलों को अंजाम देने के लिए उकसाने से संबंधित हैं।”
अधिकारी ने कहा कि दोनों मामलों में सजा के ऐलान से एनआईए द्वारा दर्ज मामलों में दोषसिद्धी की दर 93.69 फीसदी हो गई है।
एनआईए के एक प्रवक्ता ने बताया कि 2017 में उत्तर प्रदेश में एक ट्रेन के अंदर बम विस्फोट सहित अन्य आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े मामले में लखनऊ की विशेष एनआईए अदालत ने मंगलवार को मोहम्मद फैसल, गौस मोहम्मद खान, मोहम्मद अजहर, आतिफ मुजफ्फर, मोहम्मद दानिश, सैयद मीर हुसैन और आसिफ इकबाल उर्फ ‘रॉकी’ को मौत की सजा, जबकि मोहम्मद आतिफ उर्फ ‘आतिफ इराकी’ को उम्रकैद की सजा सुनाई।
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प्रवक्ता के मुताबिक, उत्तर प्रदेश के रहने वाले इन दोषियों ने मारे गए आतंकवादी मोहम्मद सैफुल्ला के साथ मिलकर लखनऊ के हाजी कॉलोनी इलाके में अपना ठिकाना बनाया था और कुछ विस्फोटक उपकरण बनाने के साथ ही उनका परीक्षण किया था।
प्रवक्ता के अनुसार, आतंकवादियों ने इन विस्फोटक उपकरणों को उत्तर प्रदेश में कई स्थानों पर लगाने की कोशिश की थी। उन्होंने बताया कि जांच में कई ऐसी तस्वीरें मिली हैं, जिनमें दोषी विस्फोटक उपकरण और गोला-बारूद बनाते तथा आईएसआईएस के झंडे के साथ नजर आ रहे हैं।
प्रवक्ता ने कहा, “समूह ने कथित तौर पर विभिन्न स्थानों से अवैध हथियार और विस्फोटक एकत्रित किए थे। आतिफ और तीन अन्य-दानिश, हुसैन और सैफुल्ला-सात मार्च 2017 को भोपाल-उज्जैन पैसेंजर ट्रेन में लगाए गए उस विस्फोटक उपकरण को बनाने के लिए जिम्मेदार थे, जिसमें धमाके से 10 लोग घायल हो गए थे।”
एनआईए प्रवक्ता के मुताबिक, सभी दोषी भारत में आईएसआईएस की विचारधारा के प्रचार और उसकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए एकजुट हुए थे।
उन्होंने कहा, “इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए फैसल, खान, मुजफ्फर, दानिश और सैफुल्ला ने कई क्षेत्रों का दौरा किया था। उन्होंने ‘हिज्र’ (प्रवास) के लिए कोलकाता, सुंदरबन, श्रीनगर, अमृतसर, वाघा बॉर्डर, बाड़मेर, जैसलमेर, मुंबई और कोझिकोड सहित कई प्रमुख भारतीय शहरों की यात्रा की थी।”
एनआईए प्रवक्ता के अनुसार, “जांच के मुताबिक खान और मुजफ्फर ने सुंदरबन के रास्ते बांग्लादेश में दाखिल होने की संभावना तलाशी थी। फैसल, आतिफ और सैफुल्ला ने कुछ आतंकवादी समूहों से संपर्क करने के लिए मार्च 2016 में कश्मीर की यात्रा की थी, जो उन्हें पाकिस्तान जाने में मदद कर सकते थे, जहां से वे सीरिया में आईएसआईएस नियंत्रित क्षेत्रों में जा सकते थे।”
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प्रवक्ता ने बताया कि सात मार्च 2017 को हाजी कॉलोनी में आतंकवादी ठिकाने पर छापे के दौरान पुलिस के साथ मुठभेड़ में सैफुल्ला मारा गया था।
उन्होंने कहा कि सबसे पहले आठ मार्च 2017 को लखनऊ में आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के पुलिस थाने में इस संबंध में मामला दर्ज किया गया था। छह दिन बाद एनआईए ने इस मामले को पुन: दर्ज किया था।
जांच के बाद 31 अगस्त 2017 को आठों आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया था। मुकदमे के बाद आरोपियों को इस साल 24 फरवरी को दोषी करार दिया गया।
एक अन्य मामले में गुजरात में एनआईए की विशेष अदालत ने भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए लोगों को कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने की गतिविधियों में शामिल होने के लिए आईएसआईएस के दो आतंकवादियों को 10 साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
एनआईए प्रवक्ता ने कहा कि दोनों आरोपी वसीम आरिफ रामोदिया उर्फ ‘निंजा फॉक्स’ और नईम आरिफ रामोदिया उर्फ ‘एनडी’ भाई हैं और गुजरात के राजकोट के रहने वाले हैं।
प्रवक्ता के मुताबिक, जांच से पता चला है कि उन्होंने आतंकी समूह की विचारधारा की वकालत करने और उसका प्रसार करने के लिए ऑनलाइन चैट और संदेशों का इस्तेमाल किया था।