शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा के ये 9 रूप मोह लेते हैं भक्तों का मन
शारदीय नवरात्रि इस बार 10 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं जो 19 अक्टूबर तक चलेंगे। मां के भक्तों के लिए नवरात्रि के नौ दिन बेहद ही खास रहते हैं। भक्त हर वो विधि का पालन करते हैं जिससे उनके परिवार पर मां की अद्भुत कृपा बरसे। डाइनामाइट न्यूज़ की विशेष रिपोर्ट में जानिए मां के नौ रूपों के बारे में..
मां शैलपुत्री
नवरात्रि के पहले दिन यानी 10 अक्टूबर बुधवार को देवी दुर्गा के पहले रूप 'शैलपुत्री' की पूजा उपासना की जाएगी। पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में उत्पन्न होने के कारण इनका नाम 'शैलपुत्री' पड़ा। मां का शुभ रंग नीला है। इस दिन उपासक अपने मन को 'मूलाधार' चक्र में स्थित करते हैं। यहीं से उनकी योग साधना का प्रारंभ होता है। शैलपुत्री को ही नवदुर्गों में प्रथम दुर्गां कहा गया है।
मां ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि के दूसरे 11 अक्टूबर वीरवार को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाएगी। व्रती इस दिन अपने मन को मां के चरणों में लगाते हैं। ब्रह्म का अर्थ है तपस्या और चारिणी यानी आचरण करने वाली। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमण्डल रहता है। मां का शुभ रंग पीला है।
मां चंद्रघंटा
नवरात्रि के तीसरे दिन 12 अक्टूबर यानी शुक्रवार को मां चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी। तीसरे दिन पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन उपासक का मन 'मणिपूर' चक्र में प्रविष्ट होता है। मां का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कराण से इन्हें मां चंद्रघंटा कहा गया है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके दस हाथ हैं और इन सभी हाथों में खड्ग आदि शस्त्र व बाण समेत दूसरे अस्त्र विभूषित हैं। मां का शुभ रंग हरा है।
मां कुष्माण्डा
नवरात्रि के चौथे दिन 13 अक्टूबर शनिवार को मां कुष्माण्डा के स्वरूप की उपासना की जाएगी। इस दिन उपासक का मन 'अदाहत' चक्र में अवस्थित होता है। मां का शुभ रंग स्लेटी है। कहा जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था तो तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। मां कुष्माण्डा की सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में हैं। वहां निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं मां में है। मां कुष्माण्डा को अष्टभुजा वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है।
मां स्कंदमाता
नवरात्रि के पांचवें दिन 14 अक्टूबर रविवार को मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाएगी। इन्हें मोक्ष के द्वार खोलने वाली व परम सुख देने वाली माता भी कहा जाता है। इस दिन मां अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं। संक्दमाता माता का शुभ रंग नारंगी है, इनकी चार भुजाएं हैं। इनके दाहिनी तरफ की नीचे वाली भुजा, जो ऊपर की ओर उठी हुई है, उसमें कमल पुष्प है। बाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा में वरमुद्रा में व नीचे वाली भुजा जो ऊपर की ओर उठी है उसमें भी कमल पुष्प ली हुई हैं। मां स्कंदमाता की उपासना से भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
मां कात्यायनी
नवरात्रि के छठे दिन 15 अक्टूबर सोमवार को मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाएगी। यह मां नवदुर्गा के नौ रूपों में उनका छठवां रूप है। इन्हें उमा, गौरी, काली, हेमावती आदि नाम से भी जाना जाता है। इस दिन उपासक का मन 'आज्ञा'चक्र में स्थित होता है। पिरपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों केो सहज भाव से मां के दर्शन प्राप्त होते हैं। मां का नाम कात्यायनी किसलिए पड़ा इसका एक कथा में वर्णन है कि कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे, उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे। इन्होंने भगवती पराम्बा की उपासना की थी जिसके कई वर्षों बाद मां भगवती ने उनके घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया और जब दानव महिषासुर का तब पृथ्वी पर अत्याचार बढ़ा गया था तो तब भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने अपने-अपने तेज का अंश महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन्न किया। जिनकी पूजा सबसे पहले महर्षि कात्यायन ने की इसी से मां का नाम कात्यायनी पड़ा। मां का शुभ रंग सफेद है।
मां कालरात्रि
नवरात्रि के 7वें दिन 16 अक्टूबर मंगलवार को मां कालरात्रि की पूजा की जाएगी। दुर्गा मां की सातवीं शक्ति को कालरात्रि के नाम से जाना जाता है। मां का शुभ रंग लाल है दुर्गा पूजा के 7वें दिन मां कालरात्रि की उपासना का विधान है। इस दिन उपासक का मन ' सहस्रार' चक्र में स्थित रहता है। इसके लिए ब्रह्मांड की समस्त सिद्धियों का द्वार खुलने लगता है। माना जाता है कि देवी के इस रूप में सभी राक्षस, भूत,प्रेत,पिसाच और नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश होता है, जो उनके आगमन से पलायन करते हैं। मां के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला होता है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। इनके तीन नेत्र हैं, ये तीनों ब्रह्मांड के सदृश्य गोल हैं। मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है। लेकिन ये सदैव शुभ फल ही देने वाली हैं। इसी कारण इनका एक नाम शुभंकारी भी है।
मां महागौरी
नवरात्रि के आठवें दिन यानी 17 अक्टूबर बुधवार को महागौरी की उपासना की जाएगी। मां दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम ही महागौरी है। दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की पूजा-अर्चना का विधान है। इनकी शक्ति अमोद्य और सदैव फलदायिनी है। इनकी पूजा से भक्तों को सभी पाप धुल जाते हैं। उनके पास भविष्य में पाप-संताप, दैन्य-दुख कभी नहीं आता। मां महागौरी का शुभ रंग आसमानी है। इनका वर्णन पूर्णतः गौर है। इस गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है। इनकी आयु आठ वर्ष मानी गई है। इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि सब श्वेत हैं। महागौरी की चार भुजाएं हैं। इनका वाहन वृषभ है। इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। मां की उपासना मात्र से ही असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं।
मां सिद्धिदात्री
नवरात्रि के नौवें दिन यानी 18 अक्टूबर यानी वीरवार को मां दुर्गा के नौवें रूप सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती है। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली देवी हैं। नवरात्रि-पूजन के 9वें दिन इनकी उपासना धूमधाम से की जाती है। इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि मां की उपासना से उपासक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। देवीपुराण के अनुसार भवगान शिव ने मां की कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था। इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था। इसी कारण वो लोक में 'अर्द्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए। मां सिद्धिदात्री की चार भुजाएं हैं। इनका वाहन शेर है, ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। इनकी दाहिनी तरफ से नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है। मां का शुभ रंग गुलाबी है। मां की कृपा से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है।