Sikkim Assembly Election: जानिए कौन हैं प्रेम सिंह तमांग, जो दूसरी बार संभालेगें सिक्किम की कमान
राज्य में प्रचण्ड बहुमत हासिल कर सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) अपनी सरकार बनाने जा रही है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
गंगटोक: सिक्किम विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा(एसकेएम) ने बड़ी जीत हासिल की है। इस राज्य से विपक्ष का सूपड़ा साफ हो गया है। 2014 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद सिक्किम ऐसा राज्य बन गया है, जहां विपक्ष नाम के लिए होगा।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार सिक्किम विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग के नेतृत्व वाली सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) ने प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल की है। सीएम तमांग ने खुद दो विधानसभा क्षेत्रों से जीत हासिल की है। कभी सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) के संस्थापक और पूर्व सीएम पवन कुमार चामलिंग को अपना राजनीतिक गुरु मानने वाले तमांग ने एसडीएफ के खिलाफ ही विरोध की आवाज को बुलंद किया था। इसके बाद लगातार दो चुनावों में एसकेएम ने एसडीएफ को करारी शिकस्त देकर सत्ता का सिंहासन हासिल किया।
प्रेम सिंह तमांग कौन हैं? उनका जन्म कब-कहां हुआ? उन्होंने कहां से शिक्षा हासिल की? उन्होंने कब राजनीति में कदम रखा? कैसे अपने राजनीतिक गुरु कहे जाने वाले पूर्व सीएम चामलिंग के खिलाफ विद्रोह कर वे सिक्किम के मुख्यमंत्री बने? विवाद में रहने के बाद भी उन्होंने कैसे मजबूत जनाधार हासिल किया? इन सब सवालों का जवाब आपको इस रिपोर्ट में पढ़ने को मिलेगा-
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प्रेम सिंह तमांग का जन्म 5 फरवरी 1968 को हुआ। उन्होंने दार्जिलिंग के एक कॉलेज से बीए किया । राजनीति में आने से पहले तमांग सरकारी शिक्षक थे। हालांकि, शिक्षक की नौकरी के बदले उनकी सामाजिक कार्यो में अधिक रूचि रही। इसी वजह से वे बाद में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (एसडीएफ) की राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू कर दिया और पार्टी के सदस्य बन गए। इसके बाद उन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और एसडीएफ के स्थाई सदस्य बन गए। चामलिंग, एसडीएफ के संस्थापक रहे पूर्व सीएम पवन कुमार चामलिंग को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।
वर्ष 2013 में एसडीएफ से प्रेम सिंह तमांग के इस्तीफे के बाद राज्य में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (एसकेएम) नाम से नई पार्टी अस्तित्व में आई। तमांग ने पार्टी का गठन किया और 2014 के विधानसभा चुनाव में ताल ठोक दी। इस दौरान एसकेएम ने राज्य की 32 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की। 43 प्रतिशत मतदान प्रतिशत के साथ राज्य में एसकेएम के लिए अच्छी शुरुआत थी। कह सकते हैं कि यह समय चामलिंग के नेतृत्व वाली एसडीएफ के लिए एक चुनौती की तरह था। 2014 के चुनाव में एसडीएफ ने 22 सीटें जीतीं और पवन कुमार चामलिंग लगातार पांचवीं बार सीएम बने थे।
समय बदला और इसके बाद वर्ष 2019 में राज्य में पहली बार तमांग के नेतृत्व वाली एसकेएम ने राज्य में पहली बार जीत दर्ज की। ये वो पल था जब, 24 वर्ष, पांच महीने और 15 दिन तक काबिज रही पवन कुमार चामलिंग की सरकार को सत्ता से बाहर होना पड़ा। एसकेएम में 17 सीटों पर जीत हासिल कर सत्ता पर काबिज हुई। राज्य में पवन कुमार चामलिंग सरकार का अस्त हुआ और प्रेम सिंह तमांग सरकार का उदय हो गया।
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खास बात यह है कि भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे तमांग ने इस बार चुनाव नहीं लड़ा। इसके बावजूद, उन्होंने सिक्किम के छठे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। सीएम बनने के बाद तमांग ने पोकलोक-कामरांग विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
इस बार यानी वर्ष 2024 में तमांग ने अपने जनाधार पर फिर एक बार मुहर लगा दी और जिन दो सीटों से उन्होंने चुनाव लड़ा, वहां उन्हें जीत हासिल हुई। सोरेंग-चाकुंग और रेनॉक सीटों पर जीत दर्ज कर तमांग ने एक बार फिर से साबित कर दिया है कि जनता के बीच उनकी मजबूत पकड़ है।