बच्चों और किशोर युवाओं के बीच पॉपुलर हुआ स्मार्ट पुस्तकालय, जानें पूरी डिटेल

डीएन ब्यूरो

अरूणाचल प्रदेश के मियाव में कागो पुलो, अंश जायसवाल और उनके मित्रों के लिए पहले पढ़ाई कभी इतना रोचक नहीं रही ।अब उनके जैसे बच्चे, किशोर एवं युवा खुबसूरत एवं पाठ्येत्तर गतिविधियों वाले नये स्मार्ट पुस्तकालय में पहुंच रहे हैं।

फाइल फोटो
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मियाव: अरूणाचल प्रदेश के मियाव में कागो पुलो, अंश जायसवाल और उनके मित्रों के लिए पहले पढ़ाई कभी इतना रोचक नहीं रही ।अब उनके जैसे बच्चे, किशोर एवं युवा खुबसूरत एवं पाठ्येत्तर गतिविधियों वाले नये स्मार्ट पुस्तकालय में पहुंच रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, पिछले साल मई में शुरू हुए न्यू एज लर्निंग सेंटर (एनएएलसी) में आठ से 22 साल तक के बच्चे, किशोर एवं युवा पहुंच रहे हैं जिन्हें विभिन्न प्रकार की पुस्तकें पढ़ने को मिलती हैं और वे मनोरंजन गतिविधियां कर पाते हैं।

एनएएलसी, चांगलांग के उपायुक्त सन्नी के. सिंह के दिमाग की उपज है । वह महसूस करते हैं कि इसके पीछे यह विचार था कि पढ़ने की खत्म होती आदत को एक गति प्रदान करने की जरूरत है क्योंकि ई-पुस्तकों के वर्तमान दौन में पुस्तकालय पुराने पड़ते जा रहे हैं या चलन से बाहर हो रहे हैं।

सिंह ने कहा, ‘‘ यह पुस्तकालय एवं कैफे की अनुभूति है।’’

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उन्हें नवोन्मेषी जिला श्रेणी में हाल में केंद्र सरकार से एनएएलसी के लिए एक पुरस्कार मिला है।

दो हजार वर्ग फुट क्षेत्र में फैले इस वातानुकूलित केंद्र में विविध विषयों की पुस्तकें तथा प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु अध्यययन सामग्री है।

सिंह ने कहा कि इसे रीडिंग कैफे के रूप में डिजायन किया गया है जहां रंगीन तकिये, सफेद अलमारियां (बुकशेल्फ) और रौशनी में नहाई दीवारें हैं। उन्होंने कहा कि यहां लैपटॉप, टेबलेट कंप्यूटर और वाईफाई कनेक्शन भी है।

सिंह ने बताया कि इस स्मार्ट पुस्तकालय का सपना लोगों से मिले चंदे और सरकारी अनुदान से साकार हुआ। उनके अनुसार राज्य के उपमुख्यमंत्री चौवना मीन ने भी इस पुस्तकालय के लिए 50 लाख रुपये दिये।

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एनएएलसी ने शुरू के 200 बच्चों एवं आर्थिक रूप से कमजोर तबके के विद्यार्थियों को मुफ्त सदस्यता दी । अन्य के लिए जीवनपर्यंत सदस्यता महज 50 रुपये की है जिसके साथ 100 रुपये सुरक्षा निधि के रूप में देने होते हैं।

सिंह ने बताया कि मियाव में शिक्षा के क्षेत्र में अंतर का विश्लेषण करने के दौरान उन्हें ‘ परेशान करने वाले आंकड़े’ मिले। उन्होंने कहा कि न केवल कक्षा में उत्तीर्ण होने वाले बच्चों की संख्या बहुत कम थी बल्कि बीच में पढ़ाई छोड़ देने की प्रवृति भी एक बड़ी समस्या थी।

उपायुक्त ने कहा ‘‘युवाओं की इतनी बड़ी संख्या होने के बाद भी इस उपसंभाग में डॉक्टर, इंजीनियर, वकील और प्रशासक नहीं है। मुख्य वजह प्रतिस्पर्धी संस्कृति का अभाव है। इसके अलावा प्रतियोगी पुस्तकें भी आसानी से उपलब्ध नहीं हैं। यही कारण है कि एनएएलसी ने छात्रों के फायदे के लिए पर्याप्त किताबें रखी हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हमारा विचार एक ऐसी व्यवस्था तैयार करना है जहां सभी उम्रवर्ग के बच्चों को अध्ययन के लिए आरामदेह माहौल मिले और वे अपना आत्मविश्वास स्तर ऊंचा कर सकें..।’’










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