अभी तक स्पष्ट नहीं कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघर्ष विराम क्यों तोड़ा : बीएसएफ महानिदेशक

डीएन ब्यूरो

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक नितिन अग्रवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह अब तक स्पष्ट नहीं है कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लंबे समय से जारी संघर्ष विराम को हाल ही में क्यों तोड़ा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

बीएसएफ महानिदेशक नितिन अग्रवाल
बीएसएफ महानिदेशक नितिन अग्रवाल


हजारीबाग:  सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक नितिन अग्रवाल ने बृहस्पतिवार को कहा कि यह अब तक स्पष्ट नहीं है कि पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लंबे समय से जारी संघर्ष विराम को हाल ही में क्यों तोड़ा। उन्होंने कहा कि फ्लैग मीटिंग के दौरान उनके अधिकारियों ने कोई ‘आश्वस्त करने वाला’ स्पष्टीकरण नहीं दिया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अग्रवाल बीएसएफ के 59वें स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर झारखंड के हजारीबाग के मेरु क्षेत्र में बल के शिविर में वार्षिक प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों से बात कर रहे थे।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का यहां शुक्रवार को आयोजित परेड की सलामी लेने का कार्यक्रम है।

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बीएसएफ महानिदेशक ने कहा, ‘‘हमें कोई सुराग नहीं मिला है... हम हर पहलू का विश्लेषण कर रहे हैं। फ्लैग मीटिंग के दौरान, उन्होंने (पाक रेंजर्स ने) इसके (संघर्षविराम उल्लंघन के) कारण बताए, लेकिन वे बिल्कुल भी आश्वस्त करने वाले नहीं हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वे (पाक रेंजर्स) खुद इस बारे में आश्वस्त नहीं लग रहे हैं। उन्होंने बस बताने के लिए कुछ कारण दिए।’’

पाकिस्तानी रेंजर्स ने अक्टूबर में जम्मू सेक्टर से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा पर गोलीबारी की थी जिसमें बीएसएफ का एक जवान एवं एक महिला घायल हो गई थी। यह 2021 के बाद अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघर्ष विराम का पहला बड़ा मामला था।

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दोनों पक्षों द्वारा 25 फरवरी, 2021 को संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से कुल मिलाकर कम से कम छह बार इसका उल्लंघन हुआ है।

बीएसएफ महानिदेशक ने कहा कि बल ने इन संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं के दौरान ‘प्रभावी’ जवाबी कार्रवाई की और ‘‘वहां (पाकिस्तान में) बड़े पैमाने पर हताहत होने की खबरें थीं।’’उन्होंने कहा , ‘‘मैं देश को आश्वस्त कर सकता हूं कि बीएसएफ प्रभावी ढंग से सीमाओं की रक्षा करेगी।’’

बल की स्थापना 1 दिसंबर, 1965 को की गई थी और इसमें लगभग 2.65 लाख जवान हैं। इसे मुख्य रूप से पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ 6,000 किलोमीटर से अधिक लंबी भारतीय सीमा की रक्षा करने का काम सौंपा गया है।










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