रामजीत हत्याकांड: सुलग रहा गांव, पोस्टमार्टम के 12 घंटों के बाद भी नहीं हुआ अंतिम संस्कार
यूपी के सुल्तानपुर में शुक्रवार को हुए दलित रामजीत की हत्या के बाद से सुलग रहा है। परिजनों की मांग है के जब तक पुलिस हत्या का मुकदमा नहीं दर्ज करती तब तक वो अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।
सुल्तानपुर: यूपी के सुल्तानपुर में जयसिंहपुर कोतवाली अन्तर्गत सेमरी चौकी के रामनाथपुर गांव शुक्रवार को हुए दलित रामजीत की हत्या के बाद से सुलग रहा है। जिसमें अब आग में घी डालने का काम स्वयं पुलिस ही कर रही है। वर्चस्व को लेकर अंजाम पाया दलित हत्याकांड पुलिस की लापरवाही का कारण बना था। इस बात को पुलिस के उच्चाधिकारियों ने भी माना था। लेकिन इतने के बाद भी पुलिस चेती नहीं है, यही कारण है कि शनिवार शाम पोस्टमार्टम के बाद मिले शव का अन्तिम संस्कार नहीं हो सका है। परिजनों की मांग है कि जब तक पुलिस हत्या का मुकदमा नहीं दर्ज करती तब तक वो अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।
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क्या है पूरा मामला
शुक्रवार को हुए रामजीत हत्याकांड में शनिवार शाम करीब 5 बजे के आसपास शव का पोस्टमार्टम करके उसे परिजनों के हवाले कर दिया गया था। लेकिन शव घर पर लेकर आने के बाद परिजनों ने अंतिम संस्कार से इंकार कर दिया था। परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने आरोपियों को बचाने के लिए हत्या का मुकदमा न लिखकर गैर इरादतन हत्या में मुकदमा लिखा है। ये भी आरोप है कि घायलों को जहां गम्भीर चोटें आई हैं वहां पुलिस ने हत्या के प्रयास का मामला दर्ज करने के बजाए मामूली धारा में मुकदमा लिखा है।
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दलित को पीट-पीटकर मार उतारा था मौत के घाट
शुक्रवार को जयसिंहपुर के सेमरी बाजार पुलिस चौकी के रामनाथपुर गांव में दलित रामजीत के परिवार के चार लोगों को स्वर्ण जाति के आधा दर्जन लोगों ने जमकर पीटा था। दबंगों की पिटाई में एक गर्भवती महिला भी शामिल थी। घटना के बाद घायलों को अस्पताल ले जाते समय रामजीत की मौत हो गई थी। वहीं रामजीत के पुत्र मंजीत (23), मंजीत की पत्नी अंतिमा (20) (गर्भवती) और रामजीत की पत्नी सुमित्रा (42) बुरी तरह लहूलुहान हुए थे। जिनका इलाज अस्पताल में जारी है। वहीं शनिवार को डीएम और एसपी ने पहले जिला अस्पताल में घायलों का हाल जाना था पर फिर मौके पर पहुंचकर स्थित का जाएजा लेते हुए गांव में माहौल गर्म होते देख भारी मात्रा में पुलिस फोर्स लगवा दिया था।
9 जुलाई को मारपीट कर आरोपियों ने की थी लूट
परिजनों और ग्रामीणों की मानें तो शुक्रवार को हुए इस तांडव की शुरुआत 9 जुलाई को तब शुरु हुई जब मृतक रामजीत का पुत्र मनजीत डीजल लेने के लिए मार्केट निकला था। जहां रास्ते में राकेश उपाध्याय आदि ने उससे मारपीट कर रुपए लूटे थे। घटना के बाद पीडित सेमरी चौकी पहुंचा तो उसे कोतवाली भेज दिया गया। अभी नए-नए कोतवाली इंचार्ज बने निर्भय सिंह ने पीडित को न्याय देने के बजाए फटकार लगाकर भगा दिया। यहां से आरोपियों के हौंसले बुलंद हो गए, ठीक 3 दिन बाद आरोपी रामनाथ पुर की दलित बस्ती में पहुंचे। आरोप है कि यहां राकेश उपाध्याय आदि ने एक दलित महिला से छेड़छाड़ किया। इस घटना की शिकायत लेकर जब पीडित कोतवाली पहुंचे तो पुलिस ने सुना अनसुना कर दिया। पुलिस द्वारा एफआईआर न दर्ज करने से आक्रोशित दलित समुदाय ने उसी दिन शाम राकेश उपाध्याय को पीटकर रख दिया। लेकिन पूर्व की दो घटनाओं में पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करना उचित नहीं समझा था उसी पुलिस ने राकेश की तहरीर पर तुरंत मुकदमा दर्ज कर लिया।
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डीएम-एसपी के स्थलीय निरीक्षण में पुलिस द्वारा बरती गई लापरवाही की बात आई सामने
इस बाबत शनिवार को डीएम हरेंद्र वीर सिंह और एसपी अमित वर्मा ने मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लिया। एसपी अमित वर्मा ने बताया कि सीओ के नेतृत्व में पुलिस फोर्स को गांव में तैनात कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि हमने चौपाल में बैठकर पुरुषों, महिलाओं और बच्चों से बात किया है, घटना के पीछे मारपीट और छेड़छाड़ की बात सामने आई है। जिससे आक्रोश पैदा हुआ। पुलिस द्वारा बरती गई लापरवाही की बात सामने आई है इसकी जांच की जा रही है। जांच के बाद कार्यवाई अवश्य होगी। वही आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए एसपी ने 3 टीमों को भी लगाया है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि इस जांच और इसके बाद गर कार्यवाई हो भी जाए तो क्या तांडव में मरने वाले दलित की जान वापस लौट आएगी?
सूर्यास्त के कारण कारण नही हुआ अन्तिम संस्कार
जयसिंहपुर कोतवाली इंचार्ज निर्भय सिंह ने बातचीत में बताया कि शनिवार को सूर्यास्त हो जाने के कारण अन्तिम संस्कार नहीं हो सका। आज अन्तिम संस्कार करा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि हत्याकांड में धारा 304, 323, आदि के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।