महिलाओं के मस्जिद में नमाज पढ़ने की मांग से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब..
पुणे के मुस्लिम दंपती की सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की दलील है कि पवित्र कुरआन और मोहम्मद साहब ने महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश का कभी विरोध नहीं किया था।
नई दिल्ली: पुणे के मुस्लिम दंपती की सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश को लेकर दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की दलील है कि पवित्र कुरआन और मोहम्मद साहब ने महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश का कभी विरोध नहीं किया था।
Supreme Court issues notice to the Centre, National Commission for Women, Central Waqf Council and All India Muslim Personal Law Board on a plea seeking direction that Muslim women be allowed to enter mosques and offer prayers. pic.twitter.com/8sVfy1EtMU
— ANI (@ANI) April 16, 2019
मंगलवार को मस्जिद में महिलाओं को नमाज पढ़ने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, राष्ट्रीय महिला आयोग और सेंट्रल वक्फ काउंसिल को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। साथ ही कोर्ट ने यह भी पूछा है कि इस मामले में सरकार का क्या रोल है।
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मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में अलग-अलग दलीलें दी गईं। मस्जिद में नमाज पढ़ने की मांग करने वाले पक्ष की ओर से कहा गया भारत में मस्जिदों के अंदर महिलाओं को नमाज पढ़ने की इजाजत न होना न सिर्फ अवैध है, बल्कि संविधान की मूल आत्मा का भी उल्लंघन है। उदाहरण देते हुए बताया कि कनाडा में मस्जिद के अंदर महिलाओं को प्रवेश की इजाजत है। जबकि दूसरी दलील ये दी गई कि सऊदी अरब के मक्का में मस्जिद में महिलाओं को इजाजत नहीं है।
क्या है इसमें सरकार की भूमिका : सुप्रीम कोर्ट
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दोनों पक्षों की दलीलों को सुनते हुए सुनवाई कर रही संविधान पीठ ने पूछा क्या इसमें अनुच्छेद 14 का तार्किक प्रयोग किया जा सकता है। क्या मस्जिद और मंदिर सरकार के हैं। जैसे आपके घर में कोई आना चाहे तो आपकी इजाजत जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि इस मामले में सरकार की क्या भूमिका है।
सबरीमाला में महिलाओं को सामान्य तरीके से प्रवेश न दिए जाने पर टिप्पणी
सुनवाई शुरू करने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर का जिक्र करते हुए कहा वहां 10 से 50 साल उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक थी लेकिन हमने हटा दिया। हालांकि बवाल अभी तक जारी है लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद महिलाओं को मंदिर में प्रवेश सामान्य तरीके से नहीं दिया जा रहा है।