राफेल पर कोर्ट का फैसला सुरक्षित..सरकार ने कहा बिना अनुमति पेश नहीं कर सकते गोपनीय दस्तावेज
केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को हलफनामा दिया गया था कि रक्षा मंत्रालय से राफेल के कागजात लीक हुए थे। अटार्नी जनरल वेणुगोपाल ने साक्ष्य अधिनियम की धारा- 123 और सूचना के अधिकार अधिनियम का हवाला दिया।
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर राफेल विमान सौदे में कथित गड़बड़ी का मामला चर्चा में है। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में राफेल डील पर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें केंद्र की ओर से बताया गया कि रक्षा मंत्रालय से राफेल के कागजात लीक हुए थे। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद फैसला सरक्षित रख लिया है।
गौरतलब है कि केंद्र ने राफेल लड़ाकू विमानों से संबंधित दस्तावेजों पर विशेषाधिकार का दावा किया है। उसकी ओर से कहा गया है कि साक्ष्य अधिनियम प्रावधान के तहत कोई भी संबंधित विभाग की अनुमति के बगैर इन्हें पेश नहीं कर सकता है।
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सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कोई भी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े दस्तावेज प्रकाशित नहीं कर सकता है। राष्ट्र की सुरक्षा सर्वोपरि है जिससे किसी भी कीमत में समझौता नहीं किया जा सकता है।
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प्रशांत भूषण के द्वारा दस्तावेजों के सार्वजनिक होने संबंधी तर्क पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि सरकार द्वारा उठाई गई प्राथमिक आपत्तियों पर निर्णय लिया जाएगा। इसके बाद ही तथ्यों के मामले की जांच की जाएगी।
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी लगातार राफेल मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरती रही है और उनपर चोरी करने का आरोप लगा रही है।