सुप्रीम कोर्ट ने पुणे लोकसभा उपचुनाव कराने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाई
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें निर्वाचन आयोग को पुणे लोकसभा सीट पर तुरंत उपचुनाव कराने को कहा गया था। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें निर्वाचन आयोग को पुणे लोकसभा सीट पर तुरंत उपचुनाव कराने को कहा गया था।
पुणे की लोकसभा सीट सांसद गिरीश बापट की मृत्यु के बाद 29 मार्च 2023 से ही रिक्त है।
न्यायालय ने कहा कि वह यह उपचुनाव आयोजित करने के लिए दिशा-निर्देश तय करेगा।
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शीर्ष अदालत ने जल्द से जल्द चुनाव कराने के कानून के बावजूद इतनी लंबी अवधि तक इस सीट पर उपचुनाव नहीं कराने के लिए निर्वाचन आयोग को फटकार भी लगाई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘‘ 29 मार्च 2023 को यह सीट खाली हो गई थी। तब से निर्वाचन आयोग क्या कर रहा था? हम इस रिक्ति के आधार पर चुनाव कराने को लेकर दिशा-निर्देश तय करेंगे। ’’
पीठ ने निर्वाचन आयोग की इस दलील पर ध्यान दिया कि मौजूदा लोकसभा का कार्यकाल इस साल 16 जून को समाप्त हो रहा है और इस समय उपचुनाव कराना एक निरर्थक प्रक्रिया होगी क्योंकि कुछ ही महीनों के बाद देश में लोकसभा चुनाव होने हैं।
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शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय के 13 दिसंबर के आदेश के खिलाफ निर्वाचन आयोग की याचिका पर पुणे निवासी सुघोष जोशी और अन्य को नोटिस जारी किया और कहा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151ए को ध्यान में रखते हुए दिशा-निर्देशों की आवश्यकता हो सकती है।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम का यह प्रावधान निर्वाचन आयोग को रिक्ति होने की तारीख से छह महीने के भीतर उप-चुनाव के माध्यम से संसद और राज्य विधानमंडलों के सदनों में आकस्मिक रिक्तियों को भरने का आदेश देता है। बशर्ते कि किसी रिक्ति के संबंध में किसी सदस्य का शेष कार्यकाल एक वर्ष या उससे अधिक हो।
बंबई उच्च न्यायालय ने पिछले साल 13 दिसंबर को निर्वाचन आयोग से पुणे लोकसभा सीट पर तुरंत उपचुनाव कराने को कहा था। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि निर्वाचन क्षेत्र के लोगों को लंबे समय तक प्रतिनिधित्व से वंचित नहीं छोड़ा जा सकता है।