सुप्रीम कोर्ट ने डीयू के पूर्व प्रोफेसर साईबाबा को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को किया रद्द,जानिये पूरा मामला

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय ने माओवादियों से संबंध के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को बुधवार को रद्द कर दिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

उच्चतम न्यायालय
उच्चतम न्यायालय


नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने माओवादियों से संबंध के मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जी. एन. साईबाबा को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को बुधवार को रद्द कर दिया।

शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय को चार महीने के भीतर मामले पर गुण-दोष के आधार पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश भी दिया।

न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को साईबाबा की अपील और अन्य अभियुक्तों की अपील उसी पीठ के समक्ष नहीं भेजने का निर्देश दिया, जिसने उन्हें आरोपमुक्त किया था और मामले की सुनवाई किसी अन्य पीठ द्वारा कराने को कहा।

यह भी पढ़ें | Supreme Court: युवा कांग्रेस अध्यक्ष बीवी श्रीनिवास के लिए राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दी अग्रिम जमानत

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायालय ने कहा कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधों को मंजूरी देने सहित कानून से संबंधित सभी प्रश्नों पर उच्च न्यायालय द्वारा फैसले किए जाने का विकल्प खुला रहेगा।

शीर्ष अदालत ने 15 अक्टूबर को इस मामले में साईबाबा और अन्य को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी।

शीर्ष अदालत में महाराष्ट्र सरकार का पक्ष वकील अभिकल्प प्रताप सिंह ने रखा और साईबाबा की ओर से वकील आर. बसंत पेश हुए।

यह भी पढ़ें | बंबई हाई कोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर को किया बरी, जानिये पूरा मामला

साईबाबा की 2014 में गिरफ्तारी के बाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल 14 अक्टूबर को उन्हें व अन्य को मामले में बरी कर जेल से रिहा करने का निर्देश दिया था। अदालत ने कहा कि गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत मामले में आरोपी के खिलाफ अभियोग चलाने की मंजूरी देने का आदेश ‘‘कानून की दृष्टि से गलत एवं अवैध’’ था।

अदालत ने साईबाबा के अलावा महेश करीमन तिर्की, पांडु पोरा नरोते (दोनों किसान), हेम केशवदत्त मिश्रा (छात्र), प्रशांत सांगलीकर (पत्रकार) और विजय तिर्की (मजदूर) को भी बरी कर दिया था। विजय तिर्की को 10 साल की जेल की सजा सुनायी गयी, जबकि बाकी लोगों को उम्रकैद की सजा दी गयी थी। नरोते का निधन हो चुका है।










संबंधित समाचार