तमिलनाडु विधानसभा में भारी हंगामे के बीच पलानीस्वामी ने 122 वोटों के साथ साबित किया बहुमत
शनिवार को तमिलनाडु विधानसभा में जबरदस्त ड्रामा हुआ। सत्ता पक्ष औऱ विपक्ष में जमकर बवालबाजी हुई लेकिन आखिरकार बाजी शशिकला गुट के हाथ लगी। डीएमके और पनीरसेल्वम गुट को करारा झटका लगा।
चेन्नई: तमिलनाडु विधानसभा में शनिवार को अद्रभुत नज़ारा रहा। भारी हंगामे के बीच मुख्यमंत्री इडाप्पडी के.पलानीस्वामी ने 122 वोटों के साथ बहुमत साबित कर दिया। वोटिंग डीएमके विधायकों को बाहर ले जाए जाने के बाद हो पायी।
सिर्फ 11 विधायकों ने पलानीस्वामी के खिलाफ वोट किया। सीएम को विश्वासमत जीतने के लिए सिर्फ 117 वोट चाहिए थे। वोटिंग के वक्त 133 विधायक सदन में मौजूद थे। जहां हंगामे के बाद डीएमके के विधायकों को बाहर कर दिया गया था, वहीं कांग्रेस और IUML ने वॉक आउट कर दिया था।
पन्नीरसेल्वम का बयान
वोटिंग के बाद पूर्व सीएम पन्नीरसेल्वम ने कहा है कि 'अभी भी वक्त है और जनता तय करेगी कि यह वोटिंग कितनी वैध है।'
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जीत के बाद पलानीस्वामी पहुंचे जयललिता की समाधि
विश्वासमत जीतने के बाद पलानीस्वामी, जयललिता की समाधि के सामने फूट फूटकर रोने लगे।
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क्या हुआ पूरे दिन
सुबह पहले सदन में जो हंगामा बरपा उसके बाद सत्र को एक बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। विधायकों ने सदन में कुर्सियां तोड़ी और पेपर फाड़े, यही नहीं डीएमके के विधायकों ने स्पीकर पी धनपाल के साथ बदसलूकी भी की जिसके बाद स्पीकर सदन छोड़कर चले गए। इसके बाद डीएमके विधायक कु का सेल्वम स्पीकर की कुर्सी पर बैठकर विरोध प्रदर्शन करने लगे।
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डीएमके विधायक स्पीकर की कुर्सी पर बैठे
इसके बाद स्पीकर ने डीएमके विधायकों को बाहर निकालने का आदेश दे दिया और सदन को दोपहर तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया. स्पीकर ने कहा 'मैं कैसे बताऊं आज विधानसभा में मेरे साथ क्या हुआ। मेरी शर्ट फाड़ी गई और मुझे अपमानित किया गया। मैं तो अपना काम कर रहा था।' स्पीकर के आदेश के बावजूद डीएमके के विधायकों ने जाने से इंकार कर दिया। सदन के बाहर 2 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया।
धरने पर बैठे स्टालिन
एमके स्टालिन के नेतृत्व में डीएमके के विधायक धरने पर बैठ गए लेकिन बाद में उन्हें बाहर ले जाया गया। स्टालिन ने कहा कि उनके साथ भी मारपीट हुई। वह राज्यपाल से मिले, साथ ही उन्होंने मरीना बीच पर धरने पर भूख हड़ताल करने का फैसला किया है।
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