DN Exclusive: केन्द्र सरकार का झूठ कोरोना पीड़ितों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा!
अप्रैल में जमकर ढ़िंढोरा पीटा गया, टीवी चैनलों पर चीख-चीख कर बड़ी उपलब्धि के तौर पर प्रचारित किया गया कि 1 मई से देश भर में 18 वर्ष से 44 वर्ष के बीच के लोगों को टीका लगेगा लेकिन इस झूठे दावे की पोल पहले ही दिन एक मई को खुल गयी। डाइनामाइट न्यूज़ विशेष:
नई दिल्ली: देश में पर्याप्त वैक्सीन ही नहीं है लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा साफ झूठ बोल दिया गया कि 1 मई से देश भर में 18 वर्ष से ऊपर के लोगों का टीकाकरण शुरु हो जायेगा। आखिर ऐसा क्यों कर रही है केन्द्र की मोदी सरकार, क्यों अपने लोगों को झूठा आश्वासन दे रही है मोदी सरकार, जब वैक्सीन ही नहीं तो फिर क्यों झूठे सब्जबाग दिखा रही है मोदी सरकार? ये ऐसे सवाल हैं, जिसे हम पत्रकार लाख पूछें, सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिलेगा।
दिल्ली, पंजाब, हिमाचल, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, गोवा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश जैसे 14 राज्यों ने साफ हाथ खड़े कर दिये कि हमें वैक्सीन मिली ही नहीं तो टीकाकरण कैसे करें?
इन 14 में से तमाम ऐसे राज्य है जो भाजपा शासित हैं, ऐसे में केन्द्र की मोदी सरकार यह बहाना भी नहीं बना सकती कि राज्य राजनीति कर रहा है, दिल पर हाथ रखकर सोचिये जरा, एक समय देश के अधिकांश भू-भाग पर भाजपा की सरकार काबिज होने का दावा करने वाली पार्टी जनता को क्या जवाब देगी? गांव से लेकर दिल्ली तक, सीएम से लेकर पीएम तक हर कुर्सी पर सिर्फ और सिर्फ भाजपा का ही कब्जा, फिर भी यह दुर्दशा?
ग्रामीण इलाकों में हालात बद से बदतर हैं। न आक्सीजन है, न बेड है और न इलाज।
हम जैसे पत्रकारों के पास रोजाना तमाम फोन-काल आ रहे हैं इलाज के लिए मदद की गुहार लिये, जितना बन पा रहा है कर रहे हैं लेकिन उनका क्या जो जनता से वोट लेकर संसद और विधानसभाओं में बैठे हैं?
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दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दंभ भरने वाली भारतीय जनता पार्टी के नेता मोदी और शाह क्या इतना भी साहस दिखायेंगे कि वे देश भर के अपने सांसदों से कह सकें कि वे अपने-अपने संसदीय क्षेत्र के मुख्यालय पर बैठें और ईमानदारी से जनता को इलाज मुहैया करा उसकी रिपोर्ट दिल्ली भेजें। यही एक कदम शायद विकराल होती जा रही समस्या को दूर कर सकता है।
उत्तर प्रदेश जैसे 25 करोड़ की आबादी वाले राज्य को कोरोना के गंभीर काल में पंचायत चुनाव की भेंट झोंक दिया गया, यह एक ऐसा नासमझी भरा कदम था, जिसकी भेंट बड़ी संख्या में लोग चढ़ रहे हैं? अब रस्म अदायगी के तौर पर 75 जिलों की बजाय मात्र 7 जिलों में आज से सीमित संख्या में टीकाकरण शुरु किया गया, बहाना यह बनाया गया कि पहले चरण में उन सात जिलों में टीकाकरण हो रहा है, जहां समस्या ज्यादा है।
इससे भी हैरान करने वाली बात यह है कि सातों जिलों में इस टीकाकरण की शुरुआत के नाम पर जमकर ढ़िढोरा पीटा जा रहा है, मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री टीकाकरण कार्यक्रम का शुभारंभ ऐसे कर रहे हैं जैसे कोरोना की जंग जीत ली गयी हो। कैमरों के फ्लैश के बीच जमकर इसका गुणगान किया जा रहा है, यह सब देख आम पीड़ित अंदर ही अंदर कुढ़ रहा है।
दुनिया भर के अखबार इस बात को बता रहे हैं कि पिछले साल की नाकामी और लापरवाही के बावजूद कैसे केन्द्र की सरकार ने जंग जीतने का झूठा श्रेय लेने की कोशिश की। इसी साल 28 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्व आर्थिक मंच के शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए COVID-19 के खिलाफ जीत का दावा किया।
फरवरी में, सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी ने एक दृढ़ संकल्प पारित किया, जिसमें COVID -19 के खिलाफ लड़ाई में भारत को दुनिया में एक गौरवशाली और विजयी राष्ट्र के रूप में पेश करने के लिए मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा की गई। कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी के सक्षम, संवेदनशील, प्रतिबद्ध और दूरदर्शी नेतृत्व के चलते भारत ने COVID-19 को हराने में कामयाबी पायी।
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इसी मुगालते में शीर्ष नेतृत्व तमाम आलोचनाओं के बावजूद पश्चिम बंगाल में भगवा फहराने को बेताब था औऱ एक के बाद ताबड़तोड़ रैलियों में मोदी से लेकर शाह, नड्डा और योगी तक व्यस्त थे। कहा गया कि बंगाल चुनाव आठ चरण में कराना एक भारी भूल है लेकिन किसी की एक न सुनी गयी।
इन सबके बाद अब तस्वीर सबसे सामने हैं। मोदी सरकार को जरा भी इल्म नहीं था कि कुछ दिनों बाद ही इस तरह की तबाही की सुनामी भारत को तबाह करने वाली है। न कोई भनक, न कोई निपटने का इंतजाम।
इमेज मेकओवर में व्यस्त आत्ममुग्ध सरकार का यही दोहरा चरित्र आक्सीजन, बेड व इलाज के लिए तड़पते लोगों के लिए हरे जख्म पर नमक छिड़कने जैसा है। लोग सरकार की इस चाल को समझ रहे हैं। समय रहते सरकार सच्चाई से दो-चार नहीं हुई तो जनता का गुस्सा उस पर भारी पड़ सकता है।