सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में इस कारोबारी समूह के प्रमोटर की राहत अवधि बढ़ाई, जानिये पूरा मामला
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को 800 करोड़ रुपये के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन मामले में एम्बिएंस समूह के प्रवर्तक राज सिंह गहलोत को गिरफ्तारी से मिली सुरक्षा चार सप्ताह के लिए बढ़ा दी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को 800 करोड़ रुपये के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन मामले में एम्बिएंस समूह के प्रवर्तक राज सिंह गहलोत को गिरफ्तारी से मिली सुरक्षा चार सप्ताह के लिए बढ़ा दी।
न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने गहलोत को राहत देने का विरोध किया और कहा कि आरोपी ने सैकड़ों करोड़ रुपये की हेराफेरी की है और उन्हें कथित तौर पर फर्जी चिकित्सा आधार पर जमानत नहीं मिलनी चाहिए।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इस पीठ में न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संजय करोल भी शामिल थे।
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राजू ने कहा, ‘‘मैं हैरान हूं कि इन सभी आर्थिक अपराधियों को मामला दर्ज होने के बाद ही हमेशा अस्पताल में भर्ती क्यों किया जाता है। अन्यथा वे तंदुरुस्त होते हैं।’’
गहलोत की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने इन दलीलों का विरोध किया।
रोहतगी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने चार नवंबर, 2022 को यहां अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक द्वारा गठित एक मेडिकल बोर्ड से गहलोत की पुन: जांच कराने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा कि मेडिकल जांच पर इस न्यायालय के आदेश को निरर्थक नहीं बताया जा सकता है।
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पीठ ने संक्षिप्त दलीलों को सुनने के बाद गहलोत को गिरफ्तारी से मिली राहत चार और सप्ताह के लिए बढ़ा दी। इसके साथ ही पीठ ने सुनवाई अदालत को निर्देश दिया कि अगर इस अवधि के दौरान जमानत याचिका दायर की जाती है तो उस पर वह फैसला करे।