इस देश में बाल विवाह की परंपरा आज भी कायम, जानिये विश्व भर में इसके कुप्रभाव

डीएन ब्यूरो

इंडोनेशिया के अनेक हिस्सों में बाल विवाहों की परंपरा है और यही कारण है कि दक्षिण पूर्व एशिया में बाल विवाह की घटनाएं इस देश में दूसरे स्थान पर सबसे अधिक हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

बाल विवाहों को रोकने की शुरुआत
बाल विवाहों को रोकने की शुरुआत


जावा (इंडोनेशिया): ईस्ट जावा के मादुरा की रहने वाली कीकी महारानी ने 17 साल की कम उम्र में शादी की थी, जब उसके पति की उम्र 20 साल थी। आज कीकी 28 साल की है। वह इस कुरीति के पीछे शिक्षा का कम स्तर और अपने माता-पिता के इस डर को वजह बताती है कि कहीं वह बिना शादी के गर्भवती नहीं हो जाए।

इंडोनेशिया के अनेक हिस्सों में इस तरह की परंपरा है और यही कारण है कि दक्षिण पूर्व एशिया में बाल विवाह की घटनाएं इस देश में दूसरे स्थान पर सबसे अधिक हैं।

कम उम्र में विवाह करने वाली लड़कियों को शिक्षा से वंचित कर दिया जाता है और वे गरीबी तथा घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं। इस प्रथा के आर्थिक प्रभाव भी हैं। यूनिसेफ इंडोनेशिया ने 2020 में आंकड़े प्रसारित किये थे, जिनमें बाल विवाह से इंडोनेशिया की जीडीपी पर 1.7 प्रतिशत भार पड़ने की बात कही गयी थी।

इंडोनेशिया में विवाह की कानूनी आयु 19 वर्ष है, लेकिन लड़के-लड़कियां कम उम्र में शादी करना चाहें, तो धार्मिक अदालतों में आवेदन कर सकते हैं और निर्धारित आयु से पहले विधिसम्मत विवाह कर सकते हैं।

आंकड़े दिखाते हैं कि इस तरह की व्यवस्था के मामले बढ़ रहे हैं और इंडोनेशिया के 10 प्रांतों में विवाह की औसत आयु पुरुषों के लिए 18 और महिलाओं के लिए 15 वर्ष है।

कोविड-19 महामारी के दौरान पूरे एशिया प्रशांत क्षेत्र में बाल विवाह के मामले बढ़ गये।

ईस्ट जावा में विशेष रूप से इसके मामले अधिक हैं। साल 2022 में यहां 15,337 लोगों ने सहमति से कम उम्र में विवाह के लिए आवेदन किया था।

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यह आंकड़ा बाकी इंडोनेशिया से अलग है। वहां 2021-22 में इस तरह की वैवाहिक व्यवस्था के मामले 61,449 से घटकर 50,673 हो गये।

धार्मिक इकाइयों के कम उम्र में विवाह के लिए अनुमति देने की एक मुख्य वजह युवती के बिना शादी के गर्भवती हो जाना है। परिवारों को लगता है कि शादी करने से इस तरह की शर्मिंदगी की स्थिति से बचा जा सकता है और विवाह किये बिना गर्भ धारण करने के मामलों को हतोत्साहित किया जा सकता है।

इस तरह की अनुमति देने वाले धार्मिक अधिकारी इसका समर्थन करते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि जोड़ों की जल्द शादी नहीं की तो वे धार्मिक कायदों का उल्लंघन कर व्यभिचार में लिप्त हो सकते हैं।

इस तरह के मुद्दे का समाधान परिवार के बीच मिल सकता है।

माता-पिता अक्सर इस तरह की राय व्यक्त करते हैं कि जल्द विवाह करना परिवारों पर आर्थिक बोझ को कम करने का एक तरीका है। कानून की कम जानकारी और मजबूत सांस्कृतिक परंपराओं की वजह से भी कम उम्र में शादियों को समस्या नहीं, बल्कि समाधान माना जाता है।

एक सर्वेक्षण (2015-2022) के आंकड़ों से पता चलता है कि कम उम्र में शादी करने वालों के प्राथमिक विद्यालय की पढ़ाई पूरी करने की संभावना कम थी। जूनियर हाई स्कूल और सीनियर हाई स्कूल के लिए संख्या और भी कम थी। कम उम्र में शादी करने वालों में से केवल एक प्रतिशत से थोड़े ही अधिक लोगों ने कॉलेज से स्नातक किया था।

शोध से निष्कर्ष निकला है कि कई क्षेत्रों में अधिक संख्या में बाल विवाह से गरीबी बढ़ती है, क्योंकि स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा की कमी से जीवन स्तर में सुधार ला पाना मुश्किल होता है।

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अनेक क्षेत्रों में अब भी मातृ और शिशु मृत्युदर, गरीबी और रोजगार के कम विकल्पों की उच्च दर समस्या बनी हुई है।

बाल विवाह के बढ़ते मामलों पर ध्यान देने के प्रयास में ईस्ट जावा में 2015 में परिवार नियोजन और जनसंख्या विकास कार्यक्रम शुरू किया गया था। इसमें लैंगिक समानता, महिला सशक्तीकरण और बच्चों का संरक्षण तथा विकास पर ध्यान केंद्रित रखा गया।

मलंग में तलाक के मामलों की अधिक दर की बाल विवाह के अधिक मामलों से कड़ी जुड़ी होना बताया गया है। इस कारण परिवार विकास कार्यक्रम लागू किये गये हैं।

ऐसे कुछ कार्यक्रमों से कुछ हद तक गरीबी को कम करने में मदद मिली है, लेकिन निर्धन लोगों की संख्या अब भी ज्यादा है।

बाल विवाह रोकने के लिए किसी भी प्रयास के केंद्र में परिवार है। समुदायों का कल्याण और जुझारूपन को मजबूत करना परिवार के स्तर पर शुरू होता है। परिवार एक ऐसी इकाई है, जो समुदाय की सोच, रवैये और व्यवहार में बदलाव लाने में अहम भूमिका अदा करता है।

पिंकी सप्तांदरी एयरलंगा विश्वविद्यालय, ईस्ट जावा, इंडोनेशिया में व्याख्याता हैं। वह विश्वविद्यालय में अफ्रीकी अध्ययन केंद्र की निदेशक हैं।

 










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