देश के इस राज्य ने पेश की 5जी नीति, सरकारी मंजूरियों को लेकर जानिये ये नई योजना
मध्य प्रदेश में तेजी से 5जी नेटवर्क के विस्तार के लक्ष्य के साथ राज्य सरकार ने अपनी नीति पेश कर दी है। इस नीति में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और बुनियादी ढांचा बनाने वाली कंपनियों को 5जी सेवाओं के विस्तार के लिए जल्द से जल्द सरकारी मंजूरियां देने पर खास जोर दिया गया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
इंदौर: मध्य प्रदेश में तेजी से 5जी नेटवर्क के विस्तार के लक्ष्य के साथ राज्य सरकार ने अपनी नीति पेश कर दी है। इस नीति में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और बुनियादी ढांचा बनाने वाली कंपनियों को 5जी सेवाओं के विस्तार के लिए जल्द से जल्द सरकारी मंजूरियां देने पर खास जोर दिया गया है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार राज्य के विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने इंदौर में ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘हम चाहते हैं कि प्रदेश में 5जी का नेटवर्क तेजी से फैले। इसके लिए हमने 5जी नीति पेश की है। इस नीति से 5जी सेवाओं का बुनियादी ढांचा विकसित करने में संबंधित कंपनियों को मदद मिलेगी।’’
उन्होंने बताया कि 5जी नीति में प्रावधान किया गया है कि दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और बुनियादी ढांचा विकसित करने वाली कंपनियों को अगर तय समयसीमा में सरकारी मंजूरी नहीं मिली, तो मान लिया जाएगा कि उन्हें यह हरी झंडी मिल गई है।
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सखलेचा ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि पूरे प्रदेश में डेढ़ से दो साल के भीतर 5जी नेटवर्क उपलब्ध हो जाएगा।’’
मध्य प्रदेश राज्य इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम (एमपीएसईडीसी) के प्रबंध निदेशक अभिजीत अग्रवाल ने बताया कि सूबे की 5जी नीति केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों और उद्योग जगत के सुझावों के आधार पर तैयार की गई है।
अग्रवाल ने कहा कि इस नीति से अगले छह माह में खासकर शहरी क्षेत्रों में 5जी नेटवर्क का तेज विस्तार होगा।
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अधिकारियों ने इस नीति के हवाले से बताया कि सरकारी जमीन या संपत्ति पर 5जी नेटवर्क का आधारभूत तंत्र खड़ा करने के लिए दूरसंचार सेवा प्रदाताओं, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं और बुनियादी ढांचा कंपनियों के आवेदनों का लाइसेंस प्राधिकारी द्वारा 60 दिन के भीतर निपटारा किया जाएगा, जबकि निजी जमीन या संपत्ति के मामले में ऐसी अर्जियों पर महज तीन दिन के भीतर फैसला किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि अगर तय समयसीमा में इन आवेदनों का निपटारा नहीं किया गया, तो मान लिया जाएगा कि आवेदकों को संबंधित मंजूरियां मिल गई हैं और तय पोर्टल पर उनके नाम लाइसेंस भी जारी हो जाएंगे।