'तकदीर' के सहारे यूपी में 'कुर्सी' तलाशने पहुंचे वरिष्ठ आईएएस देवेन्द्र चौधरी
यूपी की ब्यूरोक्रेसी से जुड़ी एक महत्वपूर्ण खबर इस समय डाइनामाइट न्यूज़ पर है। भारत सरकार के पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग में सचिव देवेन्द्र चौधरी को अचानक कल देर रात प्रतिनियुक्ति से वापस होम कैडर के लिए वापस भेज दिया गया है।
नई दिल्ली: 7 मई 1958 को जन्मे देवेन्द्र चौधरी 1981 बैच के यूपी कैडर के आईएएस हैं और वे इस समय सूबे के वरिष्ठतम आईएएस अफसरों में से एक हैं। इनके लखनऊ आगमन की खबर राज्य के बाबूओं के हाथ जैसे ही लगी वैसी ही काना-फूसी का दौर तेज हो गया कि देवेन्द्र क्या यूपी की नौकरशाही की सबसे 'ताकतवर' कुर्सी पर काबिज होंगे?
पोस्ट रिटायरमेंट की तैयारी
इसकी पड़ताल जब डाइनामाइट न्यूज़ ने दिल्ली के उच्चपदस्थ सूत्रों से की तो पता चला की ऐसा कुछ नही है। वे स्वयं अनुरोध कर लखनऊ वापस आये है क्योंकि चार महीने बाद ही इन्हें रिटायर है। ऐसे में वे सेवानिवृत्ति के बाद किसी सरकारी पद पर काबिज होना चाहते हैं ताकि रिटायरमेंट के बाद का समय कुछ अच्छे से कट सके।
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राज्य निर्वाचन आयुक्त की 'कुर्सी' पर है नज़र
जब इसकी तहकीकात डाइनामाइट न्यूज़ ने की तो अंदरुनी खबर ये निकली कि एसके अग्रवाल की राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद से विदाई के बाद देवेन्द्र की 'निगाह' इसी कुर्सी पर आकर जम गयी है। काफी हद तक संभव है कि वे रिटायरमेंट की समयसीमा से पहले इस्तीफा देकर इस कुर्सी पर काबिज हो जायें।
कौन हैं देवेन्द्र
बात यूपीए-1 के जमाने की है। ये जब मेरठ मण्डल के कमिश्नर होते थे तब यूपीए की सरकार में बिहार से आने वाली एक सहयोगी पार्टी के कोटे के 'ताकतवर' केन्द्रीय मंत्री के 'सहयोग' से भारत सरकार में प्रतिनियुक्ति पर आये और नई दिल्ली के शास्त्री भवन में संयुक्त सचिव के रुप में बैठने लगे। अक्खड़ स्वभाव के लेकिन 'गोटी फिट करने में माहिर' देवेन्द्र यूपीए सरकार के वक्त तक तो ठीक चले और ऊर्जा मंत्रालय तक पहुंचे लेकिन सचिव के रुप में प्रमोशन के बाद मोदी सरकार ने प्रशासनिक सुधार और पशुपालन महकमे में डाल इन्हें हाशिये पर रखा। अब देखना है इनकी 'तकदीर' इन्हें किस 'कुर्सी' तक लेकर जाती है..
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