UP STF: यूपी एसटीएफ का स्थापना दिवस आज, जानिये आतंक के खात्मे के लिये गठित इस युवा पुलिस बल की दिलचस्प बातें

सुभाष रतूड़ी

उत्तर प्रदेश एसटीएफ आज अपनी स्थापना की 24वीं वर्षगांठ मना रहा है। आतंक के खात्मे के लिये गठित इस पुलिस बल की कमान इस समय देश के जाबांज आईपीएस अफसर अमिताभ यश के हाथों में हैं। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़िये यूपी एसटीएफ से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें

स्थापना दिवस पर एसटीएफ चीफ आईपीएस अमिताभ यश अपनी टीम के साथ (फाइल फोटो)
स्थापना दिवस पर एसटीएफ चीफ आईपीएस अमिताभ यश अपनी टीम के साथ (फाइल फोटो)


लखनऊ: यूपी एसटीएफ का नाम आपने भी जरूरी सुना होगा। यह नाम आज यूपी में ही नहीं बल्कि देश भर में चर्चित हो चुका है। बड़े-बड़े अपराधी इस नाम को सुनते की दहशत में आ जाते हैं। कोई बड़ा एनकाउंटर हो या फिर अपराध या अपराधी... दहशत, खौफ और हर जटिल अपराध की पहेली को सुलझाने का यूपी पुलिस का रास्ता यूपी एसटीएफ से होकर ही निकलता है। 

4 मई 1998 को राज्य में आतंक और अपराध के खात्मे के लिये गठित इस विशेष पुलिस बल की कमान पिछले कुछ सालों से देश के चर्चित और जांबाज आईपीएस अफसर अमिताभ यश के हाथों में है।

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1996 बैच के आईपीएस अफसर और फिलहाल एसटीएफ के चीफ अमिताभ यश इससे पहले यूपी-एमपी समेत कई राज्यों में दहशत का पर्याय रहे डाकू शिव कुमार पटेल उर्फ ददुआ समेत कई कुख्यात अपराधियों को ठिकाने लगा चुके है। उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट भी कहा जाता है। हाल के वर्षों में अमिताभ यश के निर्देशन में यूपी एसटीएफ ने कई बड़ी आपराधिक वारदातों का खुलासा किया, जो देश भर में चर्चा का विषय बनी रहीं। 

यूपी में 90 के दशक में कई माफियाओं और अपराधियों ने कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया। यूपी में सत्ता के गलियारों में भी अपराध की आसान पहुंच होने लगी थी। बाहुबली, माफिया और संगठित गिरोहों से जुड़े लोगों का समाज में भारी आतंक हुआ करता था। सियासत के खिलाडिय़ों के हाथों मामूली प्यादे से माफिया बना श्रीप्रकाश शुक्ला और उस जैसे कई कुख्यात यूपी पुलिस का सिरदर्द बन गये थे।

बड़े-बड़े कारोबारियों से उगाही, किडनैपिंग, कत्ल, डकैती, धमकी, जमीनों पर कब्जा यूपी के पूर्व से लेकर पश्चिम तक के आम किस्सों में शामिल हो गये थे।अखबारों के पन्ने हर रोज श्रीप्रकाश शुक्ला और उस जैसे कई कुख्यातों के अपराधों की सुर्खियों हुआ करती थी। पुलिस भी लाचार और हैरान-परेशान रहती थी और लाचार सी दिखती थी।

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अपराधों की लहलहाती खेती को देखते राज्य में यूपी एसटीएफ का गठन किया गया। इसमें चुनिंदा पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को शामिल किया गया। यूपी एसटीएफ ने अपने गठन के महज पांच महीनों बाद ही टाइट फील्डिंग लगाकर राज्य में आतंक और अपराध के पर्याय बन चुके श्रीप्रकाश शुक्ला को ढेर कर उसके अंजाम तक पहुंचा दिया था। कुख्यात अपराधियों को ठिकाने लगाने का यूपी एसटीएफ का यह सिलसिला आज तक जारी है।










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