Uttar Pradesh: नौकरी का झांसा देकर लाखों रुपए ठगने वाले गैंग का यूपी एसआईटी टीम ने किया पर्दाफाश
बेरोजगार युवक और युवतियों को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देकर लाखों रुपए ठगने वाले गिरोह का यूपी एसटीएफ की टीम ने पर्दाफाश किया है। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ पर पूरी खबर
लखनऊः बेरोजगार युवक /युवतियों को सरकारी नौकरी का झांसा देकर लाखों रुपए ठगने वाले गैंग का बुधवार को यूपी एसटीएफ टीम ने पर्दाफाश किया है। इस दौरान एसटीएफ टीम ने 6 लोगों को गिरफ्तार किया है। ये गैंग लोगों को सरकारी नौकरी का झांसा देकर 1 लाख से 15 लाख रुपए तक ठग चुके हैं।
गिरफ्तार किए गए आरोपी
एसटीएफ टीम द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपियों में सिद्धनाथ शाह पुत्र स्व. चन्द्रिका प्रसाद, 2- धीरज कुमार मिश्रा पुत्र स्व. विशेश्वर दयाल मिश्रा, 3- विकास प्रसाद उर्फ रोमी पुत्र स्व. होली प्रसाद, 4- जितेन्द्र कुमार सिंह पुत्र नवीन सिंह, 5- दूधनाथ कुशवाहा पुत्र श्री घरभरन कुशवाहा, 6- राकेश कुमार त्रिपाठी पुत्र श्री अशोक त्रिपाठी शामिल है। इन आरोपियों के पास से 1 लैपटॉप, 9 मोबाइल, 5 एटीएम कार्ड, एक निर्वाचन कार्ड, 2 पैनकार्ड, 45 बेरोजगार लोगों के सीवी, चार लाख से ज्यादा कैश और दो कार भी बरामद हुई हैं।
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कैसे किया एसटीएफ की टीम ने पर्दाफाश
यूपी एसटीएफ को काफी दिनों से इस चीज की शिकायत आ रही थी की कुछ लोग सरकारी नौकरी दिलाने के बहाने लोगों से लाखों रुपए की ठगी कर रहे हैं। इसके बाद जांच में पता चला की एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज करवाई जिसमें बताया गया की उससे नौकरी के बहाने हजारों रुपए लिए गए हैं। मुखबिर से मिली सूचना के बाद एसटीएफ की टीम ने इन आरोपियों की गैंग को पकड़ लिया।
कबूला अपना जूर्म
गिरफ्तार गैंग के सरगना सिद्धनाथ शाह ने बताया कि हम लोगों का एक संगठित गिरोह हे। हम लोग बेरोजगार युवक/युवतियों को विभिन्न सरकारी विभागों में सविदा पर पद के अनुसार 01 लाख रूपये से 15 लाख रूपये लेकर नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगी कर रहे हैं। इस काम में बेरोजगार युवक/युवतियों को समझा-बुझाकर रूपया देने के लिए राजी करने का काम मेरे साथ रोमी करता है। इसके बाद धीरज कुमार मिश्रा, जितेन्द्र कुमार और दूधनाथ कुशवाहा के साथ मिलकर राकेश कुमार त्रिपाठी डायरेक्टर बीएसएन इन्फोटेक कम्पनी जो आउट सोर्सिग का काम करती है, से मीटिंग करा कर बेरोजगार युवक/युवतियों को विभिन्न सरकारी विभागों मे संविदा पर नौकरी दिलाने का विश्वास दिलाकर उनसे चतुर्थ श्रेणी के लिए रूपया पचास हजार से एक लाख, लिपिक संवर्ग/कम्प्युटर आपरेटर के लिए रूपया दो लाख से तीन लाख, सचिवालय में समीक्षा अधिकारी के लिए रूपया पन्द्रह लाख में बात करते हैं और टोकन मनी के रूप में कुछ रूपया और उनके दस्तावेजों की एक प्रति लेकर उनको ई-मेल और व्हाट्सएप के जरिए भेजते हैं।
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