महाशक्ति के रूप में भारत के उभरने का समर्थन करता है अमेरिका: विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी
अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने बुधवार को कहा कि एक महाशक्ति के रूप में भारत के उभरने का अमेरिका समर्थन करता है और यह आने वाले वर्षों में अमेरिकी हितों को पूरा करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
वाशिंगटन: अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने बुधवार को कहा कि एक महाशक्ति के रूप में भारत के उभरने का अमेरिका समर्थन करता है और यह आने वाले वर्षों में अमेरिकी हितों को पूरा करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
उनका यह बयान व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति जो बाइडन के साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उच्च स्तरीय वार्ता की पूर्व संध्या पर आया है।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और अमेरिका के एक दूसरे को प्रमुख सुरक्षा साझेदार के तौर पर देखने का उल्लेख करते हुए अधिकारी ने कहा कि द्विपक्षीय संबंध पहले की तुलना में कहीं अधिक गहरा और विस्तृत है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘अमेरिका एक महाशक्ति के रूप में भारत के उभरने का समर्थन करता है, और आने वर्षों में अमेरिकी हितों को सुनिश्चित करने में केंद्रीय भूमिका निभाएगा। हमारा संबंध पहले की तुलना में कहीं अधिक गहरा और व्यापक है। हमने यह कोविड महामारी के दौरान देखा, क्वाड में साथ मिल कर काम किया।’’
अधिकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी के दौरे के दौरान छह मुख्य विषयों पर वार्ता होगी, जिनमें रक्षा, प्रौद्योगिकी, व्यापार, नवोन्मेष, शिक्षा और यात्रा शामिल है।
अधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान व्यापार, शिक्षा और यात्रा सहयोग सहित कुछ उत्साहजनक घोषणाएं होने की उम्मीद है।
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मोदी-बाइडन की वार्ता के बाद कुछ औद्योगिक पैकेज की घोषणा होने के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा, ‘‘मैं कल की जाने वाली घोषणाओं से पहले आगे नहीं जाना चाहता, लेकिन कुछ प्रौद्योगिकी पर हम चर्चा कर रहे हैं, मुझे उम्मीद है कि कल आपको इस संबंध और रक्षा विनिर्माता के रूप में भारत की क्षमता के बारे में काफी कुछ देखने को मिलेगा। आपको कल सैन्य साजो सामान (के सह उत्पादन) के बारे में घोषणाएं सुनने को मिलेंगी।’’
अधिकारी ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार दोगुना हो गया है।
रूसी हथियारों पर भारत की निर्भरता के बारे में अधिकारी ने कहा, ‘‘2008 में हमने भारत को ज्यादा कुछ नहीं बेचा था, लेकिन 2020 में 20 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया और यह प्रत्येक वर्ष बढ़ता जा रहा है। हम अकेले नहीं हैं--कई अन्य साझेदार भारत में काम कर रहे हैं,...हम भारत में (रक्षा उत्पादों का) सह उत्पादन सह विकास कर रहे हैं। इसके साथ ही, आप रूस से बड़े सैन्य उपकरणों के सौदों को रद्द होते देख रहे हैं क्योंकि (हम जानते हैं कि) रूस इसे मुहैया नहीं कर सकता।’’
अधिकारी ने कहा कि भारत एक ही आपूर्तिकर्ता पर अपनी निर्भरता में विविधता लाने की प्रक्रिया में जुटा हुआ है।
यूक्रेन संकट के बारे में, और यह पूछे जाने पर कि क्या भारत एक मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है, अधिकारी ने कहा कि बीते कई महीनों में रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख में कुछ बदलाव आया है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘भारत का रूस के साथ संबंधों का एक लंबा इतिहास है। मुझे लगता है कि यह सकारात्मक चीज है कि मोदी ने कहा है कि इसे (यूक्रेन संकट को) वार्ता और कूटनीति के जरिये सुलझाया जाना चाहिए।’’
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उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि आप भी यह देखेंगे कि अमेरिका और भारत द्वारा, रूस एवं यूक्रेन पर हमारी नीतियों में अलग-अलग राय रखते हुए भी हम यह मान्यता साझा करते हैं कि इसका समाधान कूटनीति के जरिये और इसका समापन संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार टिकाऊ शांति के रूप में होना चाहिए।’’
पिछले साल फरवरी में यूक्रेन पर रूसी आक्रमण शुरू होने के बाद से मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से कई बार वार्ता की है, जिस दौरान उन्होंने संघर्ष का हल वार्ता व कूटनीति के जरिये किये जाने पर जोर दिया है।
रूस से रियायती मूल्य पर तेल खरीदने से जुड़े एक सवाल का जवाब देते हुए अधिकारी ने कहा कि अतीत में कई मौकों पर भारत ने रूसी कच्चा तेल आधी कीमत पर खरीदा है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘यदि एक वैश्विक समुदाय के रूप में हम रूस को यूक्रेन युद्ध लड़ने में संसाधनों से वंचित करना चाहते हैं, तो किसी न किसी को इसे बहुत कम कीमत पर खरीदना होगा।’’