High Court :उत्तर प्रदेश उच्च न्यायालय ने मेजर की कार में आग लगाने की घटना का स्वत: संज्ञान लिया
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने एक होटल में तेज आवाज में संगीत बजाने से मना करने पर अज्ञात लोगों द्वारा सेना के एक मेजर की कार में आग लगाने की घटना का स्वत: संज्ञान लिया है।
लखनऊ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने एक होटल में तेज आवाज में संगीत बजाने से मना करने पर अज्ञात लोगों द्वारा सेना के एक मेजर की कार में आग लगाने की घटना का स्वत: संज्ञान लिया है।
यह घटना गत नौ जनवरी को गोमतीनगर के विशाल खंड इलाके में हुई थी, जब मेजर अभिजीत सिंह ने पड़ोस में स्थित एक होटल में तेज आवाज में संगीत बजाने पर आपत्ति दर्ज कराई थी जिसके बाद अराजक तत्वों ने उनकी कार में आग लगा दी थी। इस मामले में लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) ने मंगलवार को होटल मिलानो एंड कैफे को सील कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति बी. आर. सिंह की खंडपीठ ने कहा कि समाचार पत्रों की खबर से यह पता चला है कि होटल अवैध रूप से संचालित किया जा था और इससे यह तथ्य स्थापित हुआ है कि राजधानी में अब भी अनधिकृत होटल संचालित किए जा रहे।
यह भी पढ़ें |
UP Politics: ओमप्रकाश राजभर ने सीएम योगी की मुलाकात, जानिये दोनों के बीच क्या हुई बात
खंडपीठ ने शहर में अनधिकृत होटलों का संचालन रोकने में विफल रहने के लिए लखनऊ विकास प्राधिकरण को जिम्मेदार ठहराते हुए उसे 30 जनवरी को इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
उच्च न्यायालय ने लाउडस्पीकर की तेज आवाज, ‘प्रेशर हॉर्न’ और रूप-स्वरूप परिवर्तित (मॉडिफाइड) वाहनों के इस्तेमाल को लेकर कुछ जनहित याचिकाओं पर विचार करते हुए इस घटना पर गौर किया।
पीठ ने कहा कि हाल में होटल लेवाना सुइट्स में आग लगने की एक दुखद घटना हुई थी। इस होटल का संचालन अनधिकृत तरीके से किया जा रहा था। पीठ ने कहा, ‘‘तब से लगभग चार महीने बीत चुके हैं, फिर भी मंगलवार को प्रकाशित समाचार से यह स्थापित होता है कि शहर में अब भी अनधिकृत होटल संचालित किए जा रहे हैं। इसका मतलब है कि एलडीए कोई कार्रवाई करने में विफल रहा है।'
यह भी पढ़ें |
मथुरा में ट्रक और ट्रैक्टर की टक्कर में तीन युवकों की मौत
जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पीठ ने राज्य सरकार को इस बारे में व्यापक हलफनामा दायर करने का भी निर्देश दिया कि भारी वाहनों को 'नो एंट्री' अवधि में शहर में दाखिल होने की अनुमति क्यों दी गई।
पीठ ने शहर में ‘मॉडिफाइड’ वाहनों के इस्तेमाल पर भी सरकार से जवाब मांगा। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा था कि मंगलवार को भी उन्होंने शहर में 'नो एंट्री' अवधि में चल रहे ‘मॉडिफाइड’ वाहनों और भारी वाहनों की तस्वीरें ली हैं।