DN Exclusive: सीएम योगी के दावों में कितना है दम.. पढ़ें, स्वास्थ्य और स्वच्छता पर यूपी का रिपोर्ट कार्ड
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ‘स्वच्छता ही सेवा’ कार्यक्रम के शुभारंभ पर पीएम मोदी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए फतेहपुर से सीधे जुड़े। योगी ने 2 अक्टूबर 2018 तक समूचे प्रदेश को खुले में शौच से मुक्त करने का दावा किया है। सीएम योगी के दावों में कितना है दम और स्वच्छता को लेकर क्या है यूपी की हकीकत..पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
नई दिल्लीः शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश भर में 'स्वच्छता ही सेवा' कार्यक्रम का आगाज किया। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आम लोगों के साथ-साथ बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन, उद्योपति रतन टाटा समेत कई प्रमुख हस्तियों से भी बातचीत की। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी फतेहपुर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये पीएम मोदी से जुड़े और स्वच्छता को लेकर अपने राज्य की नीतियों और योजनाओं को जनता से साझा किया। इस मौके पर योगी ने कई बड़े दावे किये। स्वच्छता को लेकर योगी के दावों और यूपी की हकीकत की पड़ताल करती डाइनामाइट न्यूज़ की यह विशेष रिपोर्ट..
फतेहपुर से पीएम मोदी से क्या बोले सीएम योगी
सीएम योगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य, जहां 99 हजार से भी अधिक राजस्व गांव है, वहां स्वच्छता कभी एक सपना था। इन गांवों में गंदगी का अंबार दिखता था। लेकिन जब पीएम मोदी ने 2 अक्तूबर 2014 से स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की तो इससे देश-प्रदेश में बहुत सुधार आया।
योगी ने कहा कि 2014 से 17 तक उत्तर प्रदेश में लगभग 25 लाख शौचालय प्रदेश के विभिन्न गांवों में बने। मार्च 2017 में जब प्रदेश में बीजेपी की सरकार बनी तो हमने इसे एक जन आंदोलन के रूप में लिया। 56 हजार से अधिक स्वच्छागृही पूरे प्रदेश के अंदर प्रत्येक ग्राम पंचायतों में तैनात किए। प्रदेश के अंदर जो पहले से ही सफाई कर्मचारी थे इन सबको इस अभियान के लिए विशेषतौर पर तैयार किया गया।
वहीं 2 लाख 20 हजार से अधिक राजमिस्त्रियों को विशेषतौर पर इस दौरान विशेष प्रशिक्षण दिया गया। विगत 17 माह के दौरान प्रदेश के अंदर 1 करोड़ 36 लाख इज्जत घरों का सफल निर्माण करने में प्रदेश सरकार सफल रही है। योगी ने कहा कि बेस लाइन सर्वे के अनुरूप 2 अक्टूबर 2018 तक पूरे प्रदेश को पूरी तरह खुले में शौचमुक्त करने में सफल हो जाएंगे।
आंकड़ों में यूपी की स्वच्छता की स्थिति
निसंदेह ही स्वच्छता को लेकर सीएम योगी के उक्त आंकड़े सही और नीयत काफी साफ हो, लेकिन यूपी की हकीकत के कुछ अन्य आंकड़े भी है, जो काफी चिंताजनक हैं।
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1. केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत सर्वेक्षण 2017 की रिपोर्ट में मध्यप्रदेश का इंदौर शहर शीर्ष पर था। उत्तर प्रदेश राज्य की स्थिति इस संबंध में काफी चिंताजनक थी। प्रदेश का गौंडा जिला सबसे ज्यादा गंदा बताया गया था।
2. इस रिपोर्ट में 434 शहरों में स्वच्छता आंकलन के अनुसार स्थान दिया गया था। इसमें उत्तर प्रदेश के 62 शहरों का चयन किया गया था।
3. स्वच्छता की सूची में फेतहपुर को 412वां स्थान, गोरखपुर को 314वां स्थान, हरदोई को 431वां स्थान, उन्नाव को 417वां स्थान, बदायूं को 420वां स्थान, हापुड़ को 424वां स्थान,बहराइच को 429वां स्थान मिला था। गौंडा जिले को 434वां स्थान मिला, जिसे देश का सबसे गंदा शहर बताया गया।
4. बात अगर 2018 में स्वच्छता सर्वेक्षण की करें तो इसमें 4023 शहरों में सफाई का सर्वेक्षण किया गया था। इस सर्वेक्षण में आगरा को स्वच्छता के मामले में 102वां स्थान मिला। उत्तर प्रदेश में शहर पांचवें पायदान पर रहा। वहीं आगरा सिर्फ आठ नंबर से टॉप 100 सिटी की सूची में आने से रह गया।
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नीति आयोग की रिपोर्ट में यूपी फिसड्डी
1. नीति आयोग की एक रिपोर्ट में स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में उत्तर प्रदेश को सबसे फिसड्डी बताया गया है। इसमें केरल को अव्वल माना गया।
2. नीति आयोग के समग्र स्वास्थ्य सूचकांक रिपोर्ट में स्वास्थ्य संबंधित कई सेवाओं को शामिल किया गया। इस रैंकिंग में बिहार, उड़ीसा और राजस्थान के बाद यूपी का नंबर आया है।
3. इस रिपोर्ट में हालांकि देश के 21 बड़े राज्यों की सूची में सबसे निचले पायदान पर शामिल उत्तर प्रदेश के प्रदर्शन में सुधार हुआ है और प्रदेश को टॉप तीन राज्यों की सूची में स्थान मिला।
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4. नीति आयोग ने इस रिपोर्ट को कई बिंदुओं के आधार पर तैयार किया। इस रिपोर्ट को तैयार करने में नीति आयोग ने विश्व बैंक, केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों व विशेषज्ञों की मदद ली थी।
5. स्वास्थ्य स्तर को लेकर रिपोर्ट में राज्यों में नवजात मृत्यु दर, टीकाकरण कवरेज, संस्थागत कवरेज जैसे कई बिंदुओं को शामिल किया गया था।
6. रिपोर्ट में जिन 21 राज्यों को बड़े राज्यों की सूची में शामिल किया गया था, इसमें केरल 80 अंकों के साथ सबसे अव्वल पर रहा था जबकि उत्तर प्रदेश 33.69 अंकों के साथ सबसे निचले पायदान पर था।
यूपी में दिमागी बुखार बड़ी चुनौती
उत्तर प्रदेश की स्थिति स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में काफी दयनीय है। यहां मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव है। दिमागी बुखार से हो रही मौतों के मामले में प्रदेश सरकार नाकाम दिख रही है। हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार इसके लिए अलग स्वास्थ्य नीति लाने का दावा करती है जबकि स्थिति इसके विपरीत नजर आती है।
मुख्यमंत्री योगी का गृह जनपद गोरखपुर पिछले 40 सालों से इंसेफलाइटिस की महामारी से जूझ रहा है। इंसेफलाइटिस की वजह से हर साल यहां पांच-छह सौ बच्चों की जिंदगी खतरे में है। यहां 2017 से अब तक इंसेफलाइटिस की वजह से 200 बच्चों की मौत हो चुकी है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि यूपी देश का सबसे बड़ा राज्य है और इस नाते सीएम योगी के सामने चुनौतियां भी सबसे ज्यादा है। योगी राज्य को हर क्षेत्र में सेहतमंद बनाने में जुटे हुए है लेकिन उनकी योजनाओं को अमल में लाने के लिये यूपी की पूरी मशीनरी को उनका साथ देना होगा, ताकि योगी इन सभी चुनौतियों से निपट सकें और यूपी को अपनी योजनाओं के मुताबिक एक अव्वल राज्य बना सकें।