Chamoli: ग्लेशियर की तबाही से बचाव जोरों पर, फ्लैश फ्लड से निपटने के लिये सरकार ने की ये खास तैयारियां, THDC ने रोका पानी, UP के सैकड़ों गावों में अलर्ट
उत्तराखंड के चमोली जनपद में जोशीमठ के पास ग्लेशियर टूटने से मची तबाही को कम करने के कई सारे प्रयास सरकार और प्रशासन द्वारा किये जा रहे हैं। गंगा नदी से लगे सैकड़ों गांवों में अलर्ट जारी हो चुका है। पढिये फ्लैश फ्लड के आगे बढने और इसको रोकने की तैयारियों पर विशेष रिपोर्ट
देहरादून/नई दिल्ली: उत्तराखंड के चमोली जनपद में जोशीमठ के पास ग्लेशियर टूटने से मची तबाही को कम करने के कई सारे प्रयास सरकार और प्रशासन द्वारा किये जा रहे हैं। उत्तराखंड समेत उत्तर प्रदेश में अलकनंदा और गंगा नदी से लगे सैकड़ों गांवों में अलर्ट जारी किया जा चुका है। सरकार की कोशिशें है कि ग्लेशियर से आये फ्लैश फ्लैड को उत्तराखंड के श्रीनगर गढवाल तक ही सीमित किया जाये। इसके लिये युद्ध स्तर पर कार्य किये जा रहे हैं। उत्तराखंड में डिजास्टर मैंनेजमेंट की टीम मामले से निपटने में जुटी हुई हैं वहीं यूपी के कई गांवों में भी अलर्ट कर दिया गया है। यूपी का गृह विभाग भी इस पर नजर रखे हुए हैं।
ग्लेशियर फटने के बाद जोशीमठ के पास ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का बांध टूटा, जिससे बाढ़ और फ्लैश फ्लैड का खतरा बढ़ गया। फ्लैश फ्लैड को सीमित करने के लिये एशिया में सबसे ऊंचाई वाले स्थान पर बने उत्तराखंड के टिहरी बांध से टीएचडीसी द्वारा पानी के बहाव को रोक दिया गया है। इससे गंगा नदी में बड़े पैमाने पर फ्लैश फ्लैड की आसानी से निकासी हो सकेगी। टिहरी बांध का पानी भागीरथी नदी के जरिये देवप्रयाग संगम पर अलकनंदा नदी से मिलता है और यहां से गंगा नदी बनती है। जो आगे ऋषिकेश, हरिद्वार होते हुए उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है।
टीएचडीसी द्वारा पानी के बहाव को रोकने के अलावा श्रीनगर में स्थापित की गयी बड़ी जल विद्युत परियोजना के लिये बनाये गये बांध का पानी भी धीरे-धीरे अलकनंदा नदी में छोड़ा जा रहा है, ताकि ग्लेशियर फटने के बाद जोशीमठ, चमोली, कर्णप्रयाग, देवप्रयाग से आने वाला पानी श्रीनगर में बने इस बांध में रोका जा सके।
प्रशासन ने टिहरी समेत अन्य डैमों पर उचित व्यस्था करने को कहा है। टिहरी डेम पर जहां तक संभव हो, वहां तक पानी को रोकने को कहा गया है। रुद्रप्रयाग और कर्णप्रयाग में भी हाई अलर्ट जारी कर दिया गया। नदी किनारे रहने वाले लोगों को सतर्क किया जा चुका है। स्थिति की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है।
तीन बजकर दस मिनट के आसपास बाढ के पानी ने चोमली जिले में स्थित कर्णप्रयाग को पार कर लिया। इसके बाद थोड़ी यानि खबर लिखे जाने से थोड़ी देर पहले बाढ़ के पानी ने चमोली जिले को पार किया और अब यह रुद्रप्रयाग जिले से आगे निकल रहा है। जहां से यह श्रीनगर, देवप्रयाग, ऋषिकेश और हरिद्वार से आगे बढकर उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगा।
संभावना जताई जा रही है कि बाढ का पानी आज रात तक हरिद्वार के बाद उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगा। ऐसे में गंगा नदीं वाले यूपी के सभी जनपदों में प्रशासन द्वारा व्यापक तैयारी की जागई है। यूपी का गृह विभाग पूरी तरह अलर्ट है और पूरे मामले पर नजर बनाये हुए है। यूपी सरकार की योजना है कि फ्लैश बाढ को नरौड़ा और बिजनौर बैराज तक ही सीमित किया जायेगा और इसे वहीं रोका जाये।
यूपी के बिजनौर, कन्नौज, उन्नाव समेत गंगा नदी से सटे सभी संबंधित जिलों में के सैकड़ों गांवों को प्रशासन द्वारा अलर्ट कर दिया गया है। उन्नाव में जिलाधिकारी द्वारा गंगा किनारे बसे लगभग 350 गांव में हाई अलर्ट जारी किया गया है। कन्नौज में भी डीएम ने बैठक बुलाई और गंगा के तटों पर बसे लोगों को अलर्ट कर दिया गया। ऐसी ही तैयारियां यूपी के अन्य संबंधित जिलों में भी की गई हैं।
उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत घटना के बाद आज सुबह देहरादून से जोशीमठ पहुंचे और उन्होंने घटनास्थल का दौरा किया।चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया भी मौके पर पहुंची हैं। जायजे के बाद सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि कर्णप्रयाग में आज 3 बज कर 10 मिनट पर नदी में पानी के बहाव की स्थिति से साफ़ है कि बाढ़ की सम्भावना बहुत ही कम है। हमारा विशेष ध्यान सुरंगों में फंसे श्रमिकों को बचाने में है और हम सभी प्रयास कर रहे हैं। किसी भी समस्या से निपटने के सरकार द्वारा सभी ज़रूरी प्रयास कर लिए गये हैं।
ग्लेशियर फटने और इससे तबाह हुए ऋषिगंगा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का जायजा लेने, ग्रमीणों से मिलने और जोशीमठ में घटनास्थल का दौरा करने के बाद शाम को वापस देहरादून पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राजधानी में आपदा प्रबंधन टीम के साथ अहम बैठक की। इस बैठक में आर्मी और आईटीबीपी के अधिकारी भी शामिल रहे। बैठक में स्थिति की समीक्षा के साथ ही आगे के लिये भी ठोस रणनीति पर चर्चा की गई।
बचाव कार्यों के लिये NDRF, ITBP, SDRF समेत आर्मी की कई टीमें घटनास्थल पर पहुंचकर रेसक्यू कार्यों में जुटी हुई है। गाजियाबाद-दिल्ली से भी रेसक्यू टीम वहां बचाव कार्यों के लिये रवाना चुकी है। वायुसेना को भी अलर्ट पर रखा गया है। इसके अलावा बचाव दल की कई टीमों और सदस्यों को स्टेंड बाई रखा गया है, जो कभी भी रवाना हो सकते हैं। इससे पहले सरकार द्वारा इमर्जेंसी के लिये तीन नंबर 1070, 1905 और 9557444486 जारी किये जा चुके हैं।