राजस्थान की करणपुर विधानसभा सीट पर मतदान शुरू

डीएन ब्यूरो

राजस्थान की करणपुर विधानसभा सीट पर चुनाव के लिए मतदान शुक्रवार सुबह शुरू हुआ। अधिकारियों ने कहा कि मतदान शुक्रवार सुबह सात बजे शुरू हुआ जो शाम छह बजे तक चलेगा। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

राजस्थान की करणपुर विधानसभा सीट पर मतदान
राजस्थान की करणपुर विधानसभा सीट पर मतदान


जयपुर: राजस्थान की करणपुर विधानसभा सीट पर चुनाव के लिए मतदान शुक्रवार सुबह शुरू हुआ। अधिकारियों ने कहा कि मतदान शुक्रवार सुबह सात बजे शुरू हुआ जो शाम छह बजे तक चलेगा।

कांग्रेस प्रत्याशी के निधन के कारण इस सीट पर चुनाव स्थगित कर दिया गया था। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने यहां से चुनाव लड़ रहे अपने प्रत्याशी सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को पहले ही मंत्रिपरिषद में शामिल करते हुए राज्यमंत्री बना दिया है।

गंगानगर के जिला कलेक्टर अंशदीप ने कहा, ‘‘करणपुर विधानसभा क्षेत्र में मतदान सुबह सात बजे शुरू हुआ। मतदान शाम छह बजे तक होगा।’’

यह भी पढ़ें | कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलेगा: गहलोत

कलेक्टर ने कहा कि चुनाव परिणाम आठ जनवरी को घोषित किए जाएंगे।

अधिकारियों के अनुसार करणपुर विधानसभा क्षेत्र में 2,40,826 मतदाता हैं, जिनमें 125850 पुरूष व 114966 महिला तथा 10 ट्रांसजेंडर मतदाता शामिल है। निर्वाचन क्षेत्र में कुल 249 मतदान केंद्र बनाये गये हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार राज्य में विधानसभा की 200 में से 199 सीटों के लिए 25 नवंबर को मतदान हुआ। इसका परिणाम तीन दिसंबर को घोषित किया गया। इसमें भाजपा को 115 व कांग्रेस को 69 सीटें मिलीं।

यह भी पढ़ें | राजस्थान: करणपुर विधानसभा सीट पर 80.50 प्रतिशत मतदान

करणपुर गंगानगर सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी और तत्कालीन विधायक गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया था। यहां भाजपा की ओर से पूर्व मंत्री सुरेंद्रपाल सिंह टीटी उम्मीदवार हैं तो कांग्रेस ने कुन्नर के बेटे रुपिंदर सिंह को प्रत्याशी बनाया है।

वहीं सत्तारूढ़ भाजपा ने करणपुर सीट से चुनाव लड़ रहे पूर्व मंत्री सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को 30 दिसंबर को बतौर राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मंत्रिपरिषद में शामिल कर लिया। कांग्रेस ने इसकी आलोचना की। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे ‘आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन एवं वहां के मतदाताओं को प्रभावित करने का प्रयास’ बताया था।

नियमों के मुताबिक, गैर-विधायकों को मंत्री के रूप में केवल इस शर्त पर शामिल किया जा सकता है कि वे छह महीने के भीतर निर्वाचित हो जाएं।










संबंधित समाचार