बलरामपुर: राप्ती नदी उफनायी, दर्जनों गांवों में बाढ़ का खतरा, ग्रामीण भयभीत
पहाड़ी नालों में आई बाढ़ के चलते राप्ती नदी का जल स्तर भी तेजी से बढ़ा है। जिससे तटवर्ती गांव में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। जिला प्रशासन द्वारा पूर्व में दावा किया जा रहा था कि सभी तैयारियां पूरी है लेकिन जिले में जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। एक्सक्लूसिव खबर..
बलरामपुर: पहाड़ी नालों में आई बाढ़ के चलते राप्ती नदी का जल स्तर भी तेजी से बढ़ा है। जिससे तटवर्ती गांव में बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। जिला प्रशासन द्वारा पूर्व में दावा किया जा रहा था कि सभी तैयारियां पूरी है लेकिन जिले में जमीन हकीकत कुछ और ही बयां करती है। वर्षो से क्षतिग्रस्त पड़े चंदापुर बांध इस वर्ष भी जिला प्रशासन की उपेक्षा का दंश झेल रहा है। जिस कारण से कई गांवों के अस्तित्व पर खतरा मंडरा है।
बाढ़ के पानी से गांवों को बचाने के लिए वर्षो पूर्व ड्रैनेज खंड सिद्धार्थ नगर द्वारा चंदापुर बांध का निर्माण कराया गया था। निर्माण के बाद देख-रेख के अभाव में बांध क्षतिग्रस्त हो गया। बांध के क्षतिग्रस्त होने से जहां एक ग्रामीणों को अपना आशियाना छोड़ना पड़ता है वही हजारों एकड़ खेत भी जल मग्न हो जाते है। इस वर्ष भी जिला प्रशासन की उपेक्षा के चलते चंदापुर बांध का मरम्मत बरसात से पूर्व नहीं कराया गया है। जिससे ग्रामीणों में भय व्याप्त है।
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जिलाधिकारी के तेजी से जगी थी आशाएं
जिले में जिलाधिकारी कृष्णा करूणेश ने बाढ़ से पूर्व कटान और बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों का दौरा कर बरसात से पूर्व सभी काम पूरा कर लेने का फरमान जारी किया था। जिससे ग्रामीणों को आशा थी कि इस वर्ष समय रहते बांध का मरम्मत कर लिया जाएगा। लेकिन अधीनस्थ अधिकारियों की लचर कार्यशैली डीएम के फरमानों पर भारी पड़ी और जिले भर में कच्छप गति से बचाव राहत कार्यो की तैयारियां शुरू हुई। जिससे चंदापुर बांध निर्माण लगभग पूरा हो सका है। लेकिन क्षतिग्रस्त बांध का गैप न भरे जाने से राप्ती नदी बाढ़ के समय में कई गांवों से सीधे होकर गुजरेगी। जिससे उनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
तो क्या साहब के फरमानों का नहीं होता है असर
डीएम ने अधिकारियों को यह निर्देश दे रखे हैं कि कोई भी काम लंबे समय तक रोका न जाए। फरियादियों को त्वरित कार्रवाई कर राहत दिलाई जाए। इसी तरह उन्होने बरसात शुरू होने से पूर्व भी निर्देश जारी किए थे लेकिन अधिनस्थ अधिकारियों की लचर कार्यप्रणाली से यह प्रतीत होता है कि साहब के फरमानों का उन पर कोई असर नही है।
बाढ़ को लेकर ग्रामीण भयभीत रात भर जगकर करते हैं पहरेदारी
राप्ती नदी की बाढ़ की विभिषका से तटवर्ती क्षेत्र में रहने वाले ग्रामीण वाकिफ है। चंदापुर बांध का रिपेयरिंग न होने के कारण बम्बाडीह ,मझारी दुल्हा और लखमा सहित दर्जनों गांव का अस्तित्व खतरे में है। ग्रामीण अब्दुल रहीम, इरशाद अली उर्फ पप्पू ,सावल, अब्दुल कलाम, सिराज अहमद ,मेवा लाल ,मुनाफ, ननकन, जमा, शाकिर अली ,सगीर अहमद आदि ने बताया कि बांध का समय रहते मरम्मत हो जाती तो थोड़ी राहत मिलती। अब तो बरसात का मौसम आ गया है। बांध का गैपिंग भरवाया जाएगा तो ऐसे में वह राप्ती नदी के आगे कितना टिकेगा यह तो समय बतायेगा। इन लोगों ने बताया कि बाढ़ का भय उन्हें दिन रात परेशान करता है। इन दिनों नदी में उफान के चलते बांध पर पहरा देने का काम भी किया जा रहा है।
डीएम ने कहा
जिलाधिकारी ने कहा कि मामला संज्ञान में है। बांध के गैप को भरने के लिए सर्वे करवाया जाएगा। लगभग 300 से 400 मीटर का गैप है जिसे 15 दिनों में पूरा कर दिया जाएगा।
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