Weather Update: दिल्ली- उत्तर प्रदेश समेत जानिए देशभर के मौसम का ताजा हाल
दिल्ली - उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत में चिलचिलाती गर्मी चालू हो गई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर समेत उत्तर भारत में इन दिनों चिलचिलाती हुई गर्मी पड़ रही है। मौसम विभाग के अनुसार इस वीकेंड दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों के साथ ही देश कुछ राज्यों को सूर्यदेव के तपन से थोड़ी राहत मिल सकती है।
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डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार अप्रैल महीने में देश के कई हिस्सों में लू की स्थिति बन चुकी है। तपती गर्मी से लोगों का बुरा हाल है। हालांकि IMD ने राहत की खबर दी है।
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मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में इस साल अधिक बारिश हो सकती है। ऐसा इसलिए कि अल नीनो के प्रभाव का स्तर कम हो रहा है। इससे मानसून के लिए बेहतर माहौल का संकेत दिख रहा है।
उत्तर प्रदेश में लू का कहर
अप्रैल का महीना चल रहा है और उत्तर प्रदेश के कई शहरों का तापमान 40 डिग्री के ऊपर पहुंच गया है। मौसम विभाग के अनुसार अगर ऐसे ही तापमान बढ़ता रहा तो मई- जून में उत्तर प्रदेश का तापमान 47 डिग्री सेल्सियस के ऊपर जा सकता है। हालांकि आज उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों में बादल छाए रहेंगे। प्रयागराज में भी आज आसमान में काले बादल देखने को मिल सकते हैं। जिसके कारण अधिकतम तापमान में दो डिग्री तक गिरावट आ सकती है।
मौसम के विभाग के अनुसार पूर्वोत्तर भारत में अगले पांच दिनों तक बारिश और तूफान की स्थिति बनी रहेगी। अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा में बिजली कड़कने के साथ ही बारिश का भी अलर्ट जारी किया है।
पहाड़ों पर फिर से मौसम अपनी करवट बदलने वाला है। देहरादून,उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली, बागेश्वर, अल्मोड़ा,पिथौरागढ़ में कहीं कहीं पर मौसम विभाग ने गरज के साथ बिजली चमकने की चेतावनी जारी की है। वहीं ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फबारी की संभावना जाहिर की है।
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आईएमडी ने बताया कि इस साल जुलाई से सितंबर के बीच ला-नीना की स्थिति देखी जा रही है, जिसका मध्य प्रशांत महासागर को ठंडा करने में योगदान है। भारतीय मानसून के लिए ला नीना अच्छा है और इस बार तटस्थ स्थितियां अच्छी हैं।
पिछले साल अल नीनो के कारण भारतीय मानसून के 60 प्रतिशत क्षेत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है, लेकिन इस साल यह स्थिति नहीं देखने को मिलेगी। यूरेशिया में इस साल भी कम बर्फबारी का आवरण है, जो बड़े पैमाने पर मानसून के लिए अनुकूल हैं।