West Bengal: पूर्व सीएम बुद्धदेव भट्टाचार्य के स्वास्थ्य को लेकर बड़ा अपडेट, जानिये पूरा हेल्थ अपडेट

डीएन ब्यूरो

पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के स्वास्थ्य में मंगलवार को सुधार हुआ और डॉक्टरों ने उन्हें ‘नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन’ पर रखा है। पढ़िए पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

बुद्धदेव भट्टाचार्य
बुद्धदेव भट्टाचार्य


कोलकाता: पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य के स्वास्थ्य में मंगलवार को सुधार हुआ और डॉक्टरों ने उन्हें ‘नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन’ पर रखा है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, उनका इलाज कर रहे एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि 79 वर्षीय भट्टाचार्य को कोई और संक्रमण तो नहीं, इसका पता लगाने के लिए कुछ और जांच की जा सकती हैं।

उन्होंने बताया कि जांच के नतीजे के आधार पर आगे का उपचार किया जाएगा।

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भट्टाचार्य का इलाज करने वाली टीम के सदस्य ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘भट्टाचार्य की हालत में काफी सुधार हुआ है। उन्हें रात में अच्छी नींद आई। उन पर इलाज का असर हो रहा है और वह सचेत हैं। हम यह पता लगाने के लिए आज कुछ जांच करेंगे कि कहीं उन्हें कोई और संक्रमण तो नहीं है।’’

उन्हें सांस लेने में दिक्कत के कारण अलीपुर स्थित वुडलैंड्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच में उनकी श्वसन नली के निचले भाग में संक्रमण और ‘टाइप-2’ श्वसन संबंधी समस्या की पुष्टि हुई थी। वह काफी समय से सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और उम्र संबंधी स्वास्थ्य जटिलताओं से जूझ रहे हैं।

भट्टाचार्य ने पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्योति बसु के स्थान पर वर्ष 2000 में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का पदभार संभाला था। वह 2011 तक मुख्यमंत्री पद पर रहे। उसी दौरान उद्योगों के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर ममता बनर्जी की अगुवाई में आंदोलन हुआ था।

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साल 2011 में हुए विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस ने बहुमत हासिल किया था और पश्चिम बंगाल में माकपा नीत वाम मोर्चा का 34 साल से चला आ रहा शासन समाप्त हो गया था। इसके बाद भट्टाचार्य स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते लंबे समय तक सार्वजनिक रूप से नजर नहीं आए।

उन्हें सार्वजनिक रूप से आखिरी बार तब देखा गया था जब वह 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में वाम दल की रैली में अचानक पहुंच गए थे और उस समय भी वह ऑक्जीसन प्रणाली की मदद ले रहे थे।

उन्होंने 2015 में माकपा की पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति से इस्तीफा दे दिया था तथा फिर 2018 में पार्टी के राज्य सचिवालय की सदस्यता भी छोड़ दी थी।










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