सरकार के आर्थिक विकास के दावों का प्रभाव जमीन पर क्यों नहीं दिख रहा : चिदंबरम

डीएन ब्यूरो

महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने प्रश्न किया कि जब वह यह दावा करती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे तेजी से विकास कर रही है तो उसका प्रभाव जमीन पर क्यों नहीं दिखाई पड़ रहा है? पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम


नयी दिल्ली: महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने प्रश्न किया कि जब वह यह दावा करती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व में सबसे तेजी से विकास कर रही है तो उसका प्रभाव जमीन पर क्यों नहीं दिखाई पड़ रहा है?

उच्च सदन में ‘देश में आर्थिक स्थिति’ विषय पर अल्पकालिक चर्चा में भाग लेते हुए चिदंबरम ने कहा, ‘‘हम बड़ी अर्थव्यवस्था हैं, हम तेजी से विकास कर रहे हैं, हम नवोन्मेषक हैं, हमारे देश में सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हो रहा है, किंतु यह जमीन पर क्यों नहीं दिख रहा?’’ उन्होंने यह बात विशेष तौर पर जाननी चाही कि इसका प्रभाव मुद्रास्फीति और रोजगार के आंकड़ों पर क्यों नहीं दिख रहा?

उन्होंने कहा, ‘‘अंतत: प्रश्न है कि यह सरकार किसके लिए है? क्या यह गरीबों के लिए है और इसकी नीतियां इतनी तोड़ी मरोड़ी गयी हैं कि यह अमीरों के पक्ष में है।’’

उन्होंने कहा कि भाजपा अब हर साल दो करोड़ नये रोजगार जोड़ने की बात नहीं करती है। उन्होंने कहा कि अच्छी बात है कि वह अब चुनावी जुमला नहीं दोहराती है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार चिदंबरम ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि देश में कामगार आबादी दर 46 प्रतिशत है जिसका मतलब है कि आबादी के अनुपात में कामगार का प्रतिशत 46 है। उन्होंने कहा कि इसमें पुरूष कामगारों की आबादी 69 प्रतिशत तथा महिलाओं की केवल 22 प्रतिशत है।

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उन्होंने कहा कि कामगार आबादी में से मात्र 50 प्रतिशत ही वास्तव में काम करती है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि देश की मात्र 23 प्रतिशत आबादी ही काम करती है और भाजपा के पिछले नौ साल के शासन में यह स्थिति स्थायी रूप से बनी रही।

चिदंबरम ने प्रश्न किया कि जब अर्थव्यवस्था इतनी तेज गति से विकास कर रही है तो कामगारों के आंकड़ों में वृद्धि क्यों नहीं हो रही है? उन्होंने कहा कि 25 वर्ष की आयु तक चार में से एक स्नातक युवा बेरोजगार है और 35 वर्ष की आयु तक हर दस में से एक स्नातक बेरोजगार है।

उन्होंने कहा कि भारत में 55 प्रतिशत रोजगार स्वरोजगार है। उन्होंने कहा कि नियमित वेतन पाने वाले कर्मचारियों की संख्या 24 प्रतिशत से घटकर 21 प्रतिशत रह गयी है। उन्होंने कहा कि रोजगार के क्षेत्र में मात्रा ही नहीं गुणवत्ता में भी कमी आयी है।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले दस वर्ष का वैभवपूर्ण काल का प्रभाव रोजगार में क्यों नहीं प्रतिबिंबित हो रहा है?’’

पूर्व वित्त मंत्री ने महंगाई का मुद्दा उठाते हुए कहा कि पिछले कुछ महीनों में इसकी दर अवश्य कम हुई है किंतु अब तक सीपीआई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) वहन करने योग्य 4-6 प्रतिशत की दर से अधिक बना हुई है। उन्होंने कहा कि खाद्य मुद्रा स्फीति नौ प्रतिशत बनी हुई है।

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उन्होंने कहा कि महंगाई दर और बेरोजगारी दर अधिक होने का असर घरेलू खर्च करने की क्षमता पर प्रतिकूल तरीके से पड़ता है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि हम कम खपत कर रहे हैं और अधिक ऋण ले रहे हैं एवं अपनी घरेलू संपत्ति एवं बचत को खत्म कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसका प्रभाव है कि देश की निबल वित्तीय बचत पिछले पचास साल के सबसे निचले स्तर 5.1 प्रतिशत पर आ गयी है।

कांग्रेस नेता ने कहा कि इसका बच्चों के पोषण पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। उन्होंने कहा कि इससे बच्चों के शारीरिक ही नहीं मानसिक विकास पर भी असर पड़ रहा है।

उन्होंने सरकार से प्रश्न किया कि इस अमृत काल में क्या देश की अर्थव्यवस्था मार्च 2024 तक बढ़कर 200 लाख करोड़ रूपये हो जाएगी? उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को इसका जवाब देना चाहिए।










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