उत्तराखंड के इतिहास से जुड़ी रोचक जानकारी, पारंपरिक व्यंजनों से लेकर ये चीजें है फेमस

डीएन ब्यूरो

उत्तराखंड की ऐतिहासिक चीजों के बारे में कुछ ऐसी चीजे हैं जिनके बारे में आप लोग कम जानते हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

बाल मिठाई और सिंगोड़ी – ने भी इसे एक अलग पहचान दी है।
बाल मिठाई और सिंगोड़ी – ने भी इसे एक अलग पहचान दी है।


उत्तराखंड: कुमाऊं क्षेत्र में स्थित अल्मोड़ा अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक व्यंजनों के लिए प्रसिद्ध है। यहां की दो खास मिठाइयां   बाल मिठाई और सिंगोड़ी न केवल स्थानीय लोगों के बीच बल्कि पर्यटकों के बीच भी बेहद लोकप्रिय हैं। ये मिठाइयां अल्मोड़ा की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाती हैं और क्षेत्रीय स्वाद का एक अनमोल हिस्सा हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार,  बाल मिठाई उत्तराखंड की सबसे मशहूर पारंपरिक मिठाइयों में से एक मानी जाती है। इसे खोया (मावा) से बनाया जाता है और ऊपर से बूरा (चीनी के छोटे-छोटे गोले) डालकर सजाया जाता है। इसे बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले खोया को धीमी आंच पर भूनकर गहरा भूरा किया जाता है। फिर इसमें चीनी डाली जाती है, इसे ठंडा करके छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है। ऊपर से बूरा डालकर इसे आकर्षक रूप दिया जाता है। इस मिठाई का स्वाद हल्की चॉकलेट जैसा होता है, जो इसे बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी की पसंदीदा बनाता है।

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पत्तों में लिपटी मिठास

सिंगोड़ी कुमाऊं क्षेत्र की एक और खास मिठाई है, जो अपनी अनूठी पैकेजिंग और स्वाद के लिए जानी जाती है। इसे खास तौर पर मालू के पत्तों में लपेटकर तैयार किया जाता है, जिससे इसका स्वाद और खुशबू और भी बढ़ जाती है। यह मिठाई भी खोये से बनाई जाती है, और इसे मालू के पत्तों में लपेटकर ठंडा करके परोसा जाता है। मालू के पत्तों की खुशबू इसे एक अलग स्वाद देती है, जिसे खाने वाला हमेशा याद रखता है।

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अल्मोड़ा की मिठाइयाँ और पहचान

बाल मिठाई और सिंगोड़ी सिर्फ मिठाइयाँ नहीं हैं, बल्कि ये अल्मोड़ा की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक हैं। ये मिठाइयाँ सालों से पारंपरिक तरीकों से बनाई जाती रही हैं, और आज भी स्थानीय हलवाई इन्हें उसी श्रद्धा से बनाते हैं। पर्यटकों के लिए ये मिठाइयाँ अल्मोड़ा की यादगार सौगात बन जाती हैं। अगर आप कभी अल्मोड़ा जाएँ, तो इनका स्वाद ज़रूर चखें और उत्तराखंडी मिठास का अनुभव करें। 










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