बलिया NH-31 चढ़ा बाढ़ की भेंट, सड़क का बड़ा हिस्सा नदारद
बलिया में हर साल बोल्डर गिराने के बजाय यदि गंगा और सरयू किनारे पक्का सिमेंटेंड बांध का निर्माण हो गया होता तो आज चांददीयर के पास NH-31 इस तरह बह नहीं जाता और न ही हजारों की आबादी का जनजीवन प्रभावित होता।
बलिया: (Ballia) हर साल बोल्डर (Bolder) गिराने के बजाय यदि गंगा (Ganga) और सरयू (Saryu) किनारे पक्का सिमेंटेंड बांध का निर्माण हो गया होता तो आज चांददीयर के पास (NH-31) इस तरह बह नहीं जाता और न ही हजारों की आबादी का जनजीवन प्रभावित होता। लेकिन अंधेरी नगरी चौपट राजा वाली कहावत यहां चरितार्थ होती नजर आ रही है। करीब सात दशकों में विभिन्न पार्टी से अनेकों माननीय सदन में चुन कर गए।
वही जनपद में एक से बढ़कर एक तेज तर्रार अधिकारी भी आए, लेकिन सब मलाई खाने के चक्कर में लगे रहे। नतीजा बुधवार की रात बलिया में NH-31 बाढ़ (Flood) के पानी मे बह गया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार बैरिया जिसे द्वाबा के नाम से भी जाना जाता है, इस इलाके के लिए बाढ़ और कटान की समस्या नासूड़ के सामान है। प्रत्येक वर्ष बरसात के महीने एक बड़ी आबादी गांव छोड़कर अन्यत्र पलायन करने पर मजबूर होते हैं। हां समय-समय पर सफेदपोशों ने उम्मीदें जरूर जगाई, लेकिन अफसोस आज तक किसी भी सरकार वह चाहे कांग्रेस हो, सपा हो, बसपा हो या फिर भाजपा, इसका स्थायी समाधान नहीं निकाल पाए। समाधान निकालेंगे भी क्यूं, मलाई काटने का जरिया जो बंद हो जाएगा।
हर सरकार में इस क्षेत्र में कटान को रोकने के लिए प्रत्येक वर्ष बोल्डर गिराकर कटान रोकने का खेल चलता है, करोड़ों रुपए का टेंडर निकलता है और इन टेंडरों में सफेदपोशों से लेकर अधिकारीगण खेल करते हैं, नतीजन ठीक से काम भी नहीं हो पाता। ग्रामीणों की मानें तो आजादी के बाद से सात दशक में कटान और बाढ़ के लिए अब तक करीब एक खरब रुपए खर्च किए गए, लेकिन इसका लाभ यहां की जनता को नहीं मिला।
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ग्रामीणों का कहना था कि इतने पैसे से यदि गंगा और घाघरा किनारे पक्का सिमेंटेड बांध बना दिया गया होता तो कटान और बाढ़ की समस्या से हमेशा के लिए निजात मिल जाता।
हर साल इन गांवों में होती है तबाही
दो नदी गंगा और सरयू के मिलन के चलते इस इलाके को द्वाबा भी कहा जाता है। हर साल बरसात के समय यहां गोपालपुर, चांददीयर, इब्राहिमाबाद नौबरार, बहुआरा, शिवपुर कपूर दीयर, जगदेवा, टेंगरही आंशिक को जहां गंगा प्रभावित करती है। वहीं गोपालनगर, शिवाल, चांददीयर, नौबरार को घाघरा प्रभावित करती है।
कमीशन के चक्कर में 200 करोड़ का कार्य हुआ बंद
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16 सितंबर 2019 को जब दूबे छपरा रिंग बंधा टूट गया, तब अगले ही दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हवाई सर्वे किया फिर 200 करोड़ रुपए की लागत से ड्रेनेज कार्य कराने की स्वीकृति प्रदान की। लेकिन सूत्र की मानें तो कमीशन के चक्कर में ठेकेदार बीच रास्ते में ही काम छोड़कर भाग गए। उसके बाद से काम रूक गया।
यहां भी कभी भी कट सकता है NH-31
गंगा और घाघरा जिस तरह से उफान पर है, वक्त रहते ठोस काम नहीं हुआ तो सुघर छपरा से दूबे छपरा के बीच भी कभी भी NH-31 कट सकता है।