बाराबंकी: झोलाछाप डॉक्टर ने ले ली मासूम की जान, परिजनों ने किया जमकर हंगामा

डीएन संवाददाता

यूपी के बाराबंकी में झोलाछाप डॉक्टर के इलाज के कारण एक बच्चे की मौत हो गई। जिसके बाद परिजनों ने हंगामा कर दिया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट

बच्चे की मौत के बाद रोते परिजन
बच्चे की मौत के बाद रोते परिजन


बाराबंकी: मोहम्मदपुर खाला थाना क्षेत्र में झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से मासूम की मौत का मामला सामने आया है। परिजनों का कहना है कि गलत इंजेक्शन देने से बच्चे के शरीर में इंफेक्शन फैल गया और थोड़ी देर बाद उसकी मौत हो गई। बच्चे की मौत के बाद परिजनों और स्थानीय निवासियों ने डॉक्टर के क्लीनिक के बाहर जमकर हंगामा किया है।


डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार जनपद के मोहम्मदपुर खाला थाना क्षेत्र के पथरापुर गांव के रहने वाले राजेश कुमार पुत्र ब्रह्मदिन अपने बेटे आर्यन का इलाज कराने को लेकर फतेहपुर की फूल गली स्थित डॉ. पीजे सहगल के क्लीनिक पहुंचे। जहां पर कल सुबह बच्चे को भर्ती कर दिया गया। 

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पीड़ित पिता का आरोप है कि शाम 5:00 बजे के बाद उनके बच्चे आर्यन के शरीर पर काले रंग के चकत्ते पड़ने लगे जिसकी शिकायत उसने डॉक्टर से की तो डॉक्टर ने बच्चे को उसके साथ क्लीनिक से बाहर निकाल दिया। और उसकी किसी बात पर ध्यान नहीं दिया थोड़ी ही देर में उसके बेटे आर्यन की मौत हो गई।  मासूम आर्यन की मौत के बाद पूरे परिवार में मातम छा गया और परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। 

पूरे मामले में पिता राजेश और परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर सहगल द्वारा बच्चों को गलत इंजेक्शन दिया गया। जिसके चलते उसके शरीर में इन्फेक्शन फैल गया और जब इसकी शिकायत डॉक्टर और उनके स्टाफ से की गई तो इलाज के बजाय बच्चे और उसके पिता को क्लीनिक से बाहर निकाल दिया गया। बच्चे आर्यन की मौत के बाद आज परिजन और ग्रामीण डॉक्टर की क्लीनिक के बाहर पहुंचे और वहां पर जमकर हंगामा किया है।

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परिजनों की मांग है कि आरोपी डॉक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाए। उसे जेल भेजा जाए। उधर हंगामा देख डॉक्टर मौके से फरार हो गया। फिलहाल पुलिस मौके पर है और परिजनों को समझा बुझाकर मामला शांत करने का प्रयास कर रही है।

 झोलाछाप डॉक्टर के इलाज से मौत का यह पहला मामला नहीं है। लेकिन समस्या यह है कि अगर कहीं पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सीएचसी है भी तो या तो वहां डॉक्टर की तैनाती नहीं है। और अगर डॉक्टर तैनात भी हैं। तो अस्पताल में मिलते नहीं जिसके चलते बीमार और तीमारदार अक्सर झोलाछाप डॉक्टर का सहारा लेते हैं। 










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