Women Reservation Bill: महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने की मांग को लेकर बीआरएस नेता बैठी भूख हड़ताल पर

डीएन ब्यूरो

भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता ने महिला आरक्षण विधेयक को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में पारित करने की मांग को लेकर शुक्रवार को यहां भूख हड़ताल की। संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च को शुरू होकर छह अप्रैल को समाप्त होगा।

बीआरएस नेता बैठी भूख हड़ताल पर
बीआरएस नेता बैठी भूख हड़ताल पर


नई दिल्ली: भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) की नेता के. कविता ने महिला आरक्षण विधेयक को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में पारित करने की मांग को लेकर शुक्रवार को यहां भूख हड़ताल की। संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण 13 मार्च को शुरू होकर छह अप्रैल को समाप्त होगा।

उन्होंने दिल्ली के कथित आबकारी घोटाले से संबंधित मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेशी से एक दिन पहले जंतर-मंतर पर अनशन किया।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की पुत्री कविता ने सभी राजनीतिक दलों का आह्वान किया कि वे महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार पर दबाव बनाएं।

उनका कहना था कि मोदी सरकार के पास पूर्ण बहुमत है और ऐसे में वह इस विधेयक को आसानी से पारित करा सकती है।

कविता ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी आग्रह किया कि वह इस विषय में दिलचस्पी दिखाएं और महिलाओं के साथ खड़ी हों।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी की उपस्थिति में कविता ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर छह घंटे की भूख हड़ताल की शुरुआत की। उन्होंने मोदी सरकार से मांग की कि वह महिला आरक्षण विधेयक को संसद के इसी सत्र में पेश करे।

उनके अनशन में आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सुभासिनी अली, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अंजुम जावेद मिर्जा, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की शमी फिरदौस, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के श्याम रजक, समाजवादी पार्टी (सपा) की पूजा शुक्ला, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सीमा मलिक और कई अन्य नेता शामिल हुए और अपना समर्थन जताया।

तेलंगाना की शिक्षा मंत्री सविता इंद्र रेड्डी और महिला एवं बाल विकास मंत्री सत्यवती राठौड़ तथा बीआरएस के कई अन्य नेता भी इस अवसर पर मौजूद रहे।

अनशन की समाप्ति के अवसर पर कविता ने कहा, ‘‘सभी दल इस बारे में बातें करते हैं, लेकिन कोई भी विधेयक को पारित कराने के लिए कदम नहीं बढ़ा रहा है। सरकार के पास पूर्ण बहुमत है और अगर वह चाहेगी तो इसे आसानी से पारित करा लिया जाएगा।’’

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उनका कहना था कि यह मुद्दा किसी व्यक्ति या राज्य से नहीं, बल्कि पूरे देश से जुड़ा हुआ है।

कविता ने इस बात पर जोर दिया कि इस विधेयक को पारित किए जाने तक देशभर में प्रदर्शन जारी रखा जाएगा।

उन्होंने कहा कि इस भूख हड़ताल में शामिल हुए लोगों के हस्ताक्षर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजे जाएंगे।

भूख हड़ताल की शुरुआत के समय कविता ने कहा, “अगर भारत को विकसित होना है, तो महिलाओं को राजनीति में अहम भूमिका निभानी होगी। इसके लिए पिछले 27 साल से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को लाना जरूरी है।”

उन्होंने कहा कि 1996 से लेकर अब तक कई राजनीतिक दलों ने इस विधेयक को पेश करने की कोशिश की, लेकिन यह संसद में पारित नहीं हो सका।

कविता ने कहा कि सुषमा स्वराज, सोनिया गांधी और वृंदा करात जैसी नेताओं ने राजनीति में महिलाओं को आरक्षण को संभव बनाने के लिए संघर्ष किया।

उन्होंने कहा, “मैं इस आंदोलन को आगे ले जाने का अवसर पाकर बहुत खुश हूं। मैं भारत की महिलाओं से वादा करती हूं कि विधेयक के पेश होने और इसे मंजूरी मिलने तक हम इस विरोध-प्रदर्शन को जारी रखेंगे।”

उधर, येचुरी ने अपने भाषण में कहा, “हमारी पार्टी विधेयक के पारित न होने तक, इस विरोध-प्रदर्शन में कविता का समर्थन करेगी। राजनीति में महिलाओं को बराबरी का मौका देने के लिए इस विधेयक को लाना जरूरी है।”

माकपा नेता ने कहा, “काफी कोशिशों के बाद सरकार ने पंचायतों में महिलाओं को आरक्षण दिया। अगर आप पंचायत में महिलाओं को आरक्षण दे सकते हैं, तो संसद में क्यों नहीं?” उन्होंने दावा किया कि कोई भी देश तब तक तरक्की नहीं कर सकता, जब तक कि वह महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में समान अवसर नहीं मुहैया कराता।

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येचुरी ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक को संसद के मौजूदा सत्र में लाना जरूरी है और माकपा इस विरोध-प्रदर्शन में बीआरएस के साथ खड़ी रहेगी।

आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि भाजपा के घोषणापत्र में महिला आरक्षण विधेयक का उल्लेख किया गया था, लेकिन इसे अब तक पारित नहीं किया गया।

उनका कहना था कि संसद के मौजूदा सत्र में सरकार को यह विधेयक लाना चाहिए जिसका सभी दल समर्थन करेंगे।

उन्होंने यह आरोप लगाया कि यह विधेयक लाने की बजाय मोदी सरकार विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने में लगी है।

महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है। 12 सितंबर 1996 को सबसे पहले संयुक्त मोर्चा सरकार ने इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया था।

अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने भी इस विधेयक को लोकसभा के पटल पर रखा था, लेकिन यह तब भी पारित नहीं हो सका था।

मई 2008 में कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पहली सरकार ने एक बार फिर महिला आरक्षण विधेयक पेश किया, जिसे राज्यसभा ने एक स्थाई समिति के पास भेज दिया।

साल 2010 में राज्यसभा ने महिला आरक्षण विधेयक पर मुहर लगा दी, जिसके बाद इसे लोकसभा की मंजूरी के लिए भेजा गया। इसके बाद से यह विधेयक ठंडे बस्ते में है।










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