दार्जिलिंग का चाय उद्योग उत्पादकता और कम दाम मिलने से संकट में
देश के प्रमुख चाय क्षेत्र दार्जिलिंग के चाय उत्पादक (प्लांटर्स) चाय की उत्पादकता घटने और निर्यात गंतव्यों से कम कीमत मिलने के दोहरे झटकों से परेशान हैं।
कोलकाता: देश के प्रमुख चाय क्षेत्र दार्जिलिंग के चाय उत्पादक (प्लांटर्स) चाय की उत्पादकता घटने और निर्यात गंतव्यों से कम कीमत मिलने के दोहरे झटकों से परेशान हैं।
उद्योग निकायों ने मंगलवार को कहा कि पश्चिमी यूरोप और जापान जैसे पारंपरिक बाजारों में मंदी वाली आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें मिलने वाले कीमतों में कमी आई है।
उन्होंने कहा कि 87 दार्जिलिंग चाय बागानों के उत्पादन का आकार, जो प्रतिवर्ष 80 लाख किलोग्राम से अधिक हुआ करता था, जलवायु परिवर्तन और कीटों के हमलों के कारण 65-70 लाख किलोग्राम रह गया है।
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भारतीय चाय निर्यातक संघ के अध्यक्ष अंशुमन कनोरिया ने कहा, ‘‘'दार्जिलिंग चाय उद्योग ‘आईसीयू’ में है। उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है, जबकि प्रतिकूल जलवायु के कारण फसल उत्पादन में गिरावट आ रही है। निर्यात, भी निराशाजनक आर्थिक स्थिति के कारण घट रहा है। पश्चिमी यूरोप और जापान से मिलने वाली कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।’’
उन्होंने कहा कि दार्जिलिंग में कई बागान बंद होने के कगार पर हैं, क्योंकि परिचालन जारी नहीं रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि संघ इस ज्वलंत मुद्दे पर चाय बोर्ड को संवेदनशील बनाने की कोशिश कर रहा है।
उन्होंने कहा, 'दार्जिलिंग चाय उद्योग उन कारकों से प्रभावित हुआ है, जो उसके नियंत्रण में नहीं हैं। क्षेत्र के चाय बागान मालिकों को भुगतान की जाने वाली एकमुश्त सब्सिडी और प्रचार गतिविधियों के लिए वित्तपोषण जैसे सरकारी सहायता के बिना इस उद्योग को जीवित नहीं रखा जा सकता है।'
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