दिल्ली हाई कोर्ट ने पत्नी के अधिकारों पर सुनाया ये बड़ा फैसला, कहा- वह केवल पति की सहायक नहीं

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि एक पत्नी अपने पति की सहायक मात्र नहीं है और वह आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने या सार्थक सामाजिक कार्य करने के अपने सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपने अधिकार बरकरार रखती है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
फाइल फोटो


नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि एक पत्नी अपने पति की सहायक मात्र नहीं है और वह आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने या सार्थक सामाजिक कार्य करने के अपने सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए अपने अधिकार बरकरार रखती है।

न्यायमूर्ति नजमी वजीरी ने एक मकान मालिक की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की, जिसमें निचली अदालत द्वारा उसके किरायेदार को बेदखल करने की याचिका को खारिज करने को चुनौती दी गई है।

यह भी पढ़ें | Crime in Delhi: वैलकम में मामूली बात पर पत्नी पर चाकू से किया हमला

अदालत ने कहा कि यह नहीं माना जा सकता है कि पत्नी अपने पति के अधीन है और अपने वित्त से जुड़े सभी विवरण अपने पति को बताने या उसके साथ साझा करने के लिए बाध्य है।

अदालत ने सात जुलाई को अपने आदेश में कहा, ‘‘एक पत्नी अपने पति की केवल सहायक नहीं होती है। उसकी पहचान उसके पति की पहचान के साथ विलीन या समाहित नहीं की जा सकती है। कानून की नजर में वह अपनी व्यक्तिगत पहचान बरकरार रखती है।’’

यह भी पढ़ें | दिल्ली HC ने लगाई AAP के नेताओं को फटकार, सोशल मीडिया से भाजपा नेता श्याम जाजू के खिलाफ जुड़ी पोस्ट हटाने का दिया निर्देश

याचिकाकर्ता मकान मालिक ने सदर बाजार में अपनी दुकान से किरायेदार को इस आधार पर बेदखल करने की मांग की थी कि उसकी दो विवाहित बेटियां बेरोजगार हैं और अपनी व्यावसायिक आकांक्षाओं के लिए संपत्ति का उपयोग करना चाहती हैं।

निचली अदालत ने बेदखली याचिका को कई आधारों पर खारिज कर दिया था, जिसमें यह भी शामिल था कि मकान मालिक की पत्नी एक होटल चलाती हैं और उसने इस व्यवसाय के पहलुओं का खुलासा नहीं किया था। निचली अदालत ने पाया था कि याचिकाकर्ता की बेटियां आर्थिक रूप से मजबूत हैं।










संबंधित समाचार