दिल्ली हाई कोर्ट पहुंचा जेलों में बंद कैदियों से जुड़ा ये मामला, शारीरिक दंड को चुनौती
जेलों में अनुशासनहीनता के लिए कैदियों को शारीरिक दंड देने को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए आई।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

नयी दिल्ली: जेलों में अनुशासनहीनता के लिए कैदियों को शारीरिक दंड देने को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए आई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की पीठ ने जेलों में 'काल कोठरी कारावास' के खिलाफ वकील हर्ष विभोर सिंघल की याचिका को उनके एक अन्य याचिका के साथ 23 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के निर्देश दिया।
याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा कि जेल अधिनियम के कुछ प्रावधानों में सजा के तौर पर कैदियों को कोड़े मारने, भोजन पर प्रतिबंध, हथकड़ी, बेड़ी और टाट व अन्य मोटे कपड़े पहनने जैसे प्रावधान है, जो भारतीय संविधान के खिलाफ हैं।
यह भी पढ़ें |
सुनहरी बाग मस्जिद को ध्वस्त करने के प्रस्ताव के खिलाफ इमान ने अदालत का रुख किया
याचिका में कहा गया है कि ये प्रावधान भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, अनुच्छेद 19(1)(ए), अनुच्छेद 20(2) और अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करते हैं।
याचिकाकर्ता ने आगे कहा कि इस तरह के शारीरिक दंड को चोट और दर्द देने तथा कैदी को अपमानित करने के लिए तैयार किया गया है।
याचिका में इस बात पर भी प्रकाश डाला गया है कि भारत ने अत्याचार, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार और क्रूरता के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र समझौते की पुष्टि की है।
यह भी पढ़ें |
लखनऊ: कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ तहरीर लेकर थाने पहुंचा शख्स, पुलिस ने लौटाया बैरंग