Rajasthan: जिला प्रशासन ने इस जिले में डीजे पर लगाया रोक, जानिए इसके पीछे की वजह
जिला प्रशासन द्वारा बूंदी जिले में कार्यक्रमों में डिस्क जॉकी (डीजे) के जरिए तेज़ आवाज़ में संगीत बजाने पर पूरी तरह से रोक लगाने से लोगों को बड़ी राहत मिली है।
कोटा: जिला प्रशासन द्वारा बूंदी जिले में कार्यक्रमों में डिस्क जॉकी (डीजे) के जरिए तेज़ आवाज़ में संगीत बजाने पर पूरी तरह से रोक लगाने से लोगों को बड़ी राहत मिली है।
फरवरी में स्थानीय लोगों ने तेज़ आवाज़ में संगीत बजाने पर पूरी तरह से रोक लगाने के लिए शांति समितियां गठित करने का प्रस्ताव दिया था जिसके बाद जिला प्रशासन ने यह फैसला किया है। हाल फिलहाल में सार्वजनिक और निजी कार्यक्रमों में तेज़ आवाज़ में संगीत बजाना आम बात हो गई थी।
इन समितियों ने प्रस्ताव को सर्वसम्मति से स्वीकार किया जिससे मार्च की शुरुआत से जिले में डिस्क जॉकी (डीजे) के जरिए तेज़ आवाज़ में संगीत बजाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
दिल की बीमारी से पीड़ित लोगों का कहना है कि प्रतिबंध ने उन्हें और अधिक परेशानी से बचाया है और उच्च-डेसिबल संगीत से उनकी पूरी सहेत प्रभावित होती है।
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बूंदी शहर के तिलक चौक क्षेत्र की एक सेवानिवृत्त स्कूल शिक्षिका भगवती (76) ने कहा कि जब भी आसपास तेज संगीत बजता था तो उनका दिल बैठने लगता था और वह सदमे की स्थिति में चली जाती थीं।
डाइनामाइट न्यूज़ से बात करते हुए, जिलाधिकारी रविंद्र गोस्वामी ने कहा कि इस कदम से जिले में पारंपरिक बैंड कलाकारों को बढ़ावा मिलेगा, जो रोजगार पैदा करने के साथ-साथ पारंपरिक संगीत संस्कृति का संरक्षण करेगा।
उन्होंने कहा कि प्रतिबंध बच्चों, विद्यार्थियों और बुजुर्गों को होने वाली असुविधा से भी बचाएगा।
हिंदू नव वर्ष और रामनवमी जैसे अवसरों पर जिले से पारंपरिक बैंड के साथ एक दर्जन से अधिक जुलूस निकाले गए।
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पुलिस अधीक्षक (एसपी) जय यादव ने दावा किया कि बूंदी राजस्थान का पहला जिला बन गया है जिसने सामुदायिक भागीदारी के माध्यम से डीजे पर प्रतिबंध लगा दिया है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, 85 डीबीए या उससे अधिक की कोई भी ध्वनि समय के साथ मानव की सुनने की क्षमता को नुकसान पहुंचा सकती है, जबकि कई बैंड और डीजे 100 डेसिबल या उससे अधिक पर संगीत बजाते हैं जिससे असहनीय शोर पैदा होता है।