DN Exclusive: भू-माफियाओं से यारी पूर्व एडीएम कुंज बिहारी अग्रवाल को पड़ी महंगी, मंडलायुक्त ने निरस्त किया 14 एकड़ बेशकीमती जमीन को सीलिंग से मुक्त करने का आदेश, शासन को कार्यवाही के लिए लिखा पत्र
अपने पुराने आका अमरनाथ उपाध्याय को खुश करने के लिए हर गैरकानूनी काम करने को आमादा रहने वाले प्रमोटेड एडीएम कुंज बिहारी अग्रवाल को लेकर बड़ी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर है। एक्सक्लूसिव रिपोर्ट:
महराजगंज: 16 जनवरी 1962 को फतेहपुर के बिंदकी तहसील में जन्मे कुंज बिहारी अग्रवाल ने महराजगंज जिले में लंबे वक्त तक एडीएम के रुप में अपनी तैनाती के दौरान जमकर अनियमितायें, लूट-खसोट और भ्रष्टाचार किया। इसकी एक-एक कर कलई अब खुल रही है। जिले भर में ये चर्चा आम थी कि भू-माफियाओं और प्रमोटेड एडीएम का चोली-दामन का साथ है लेकिन इन सबसे बेफिक्र कुंज बिहारी ने रजिस्ट्री से लेकर, स्टैम्प, खनन, स्थानीय निकाय, चकबंदी हर जगह जमकर कदर काटा।
मधवलिया गोसदन के भारी भ्रष्टाचार में मुख्यमंत्री द्वारा निलंबित किये गये अपने पुराने आका अमरनाथ उपाध्याय की नजरों में चढ़ने के लिए इन्हें बड़े से बड़ा गैरकानूनी काम करने से परहेज नहीं रहा। तीन साल से गुमनामी के अंधेरों में कैद पूर्व डीएम अमरनाथ उपाध्याय के निलंबन के बाद जब जिले में नए डीएम उज्ज्वल कुमार आये तो कुंज बिहारी के तोते उड़ गये। उज्ज्वल कुमार ने कुंज बिहारी के भयंकर भ्रष्टाचार को देखते हुए इनके खिलाफ कार्यवाही के लिए शासन को डीओ लेटर लिखा और नतीजा इनके तबादले के रुप में सामने आया।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक ताजा मामला महराजगंज जिले की 14 एकड़ बेशकीमती जमीन को सीलिंग से मुक्त करने का है। जन चर्चा है कि भू-माफियाओं से मिल कुंजबिहारी ने बड़ा खेल किया। नतीजा देखते ही देखते 14 एकड़ बेशकीमती जमीन को सीलिंग से मुक्त करने का गैरविधिक आदेश दे दिया गया।
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जब यह मामला गोरखपुर के मंडलायुक्त एनजी रवि कुमार अदालत में पहुंचा तो वे भी इस गैरविधिक आदेश को देख हैरान रह गये। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार बनाम राधेश्याम सिंह की सीलिंग अपील को स्वीकार किया तथा एडीएम/नियत प्राधिकारी के गैरविधिक आदेश को निरस्त कर दिया।
यह नही मंडलायुक्त ने एडीएम के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही की संस्तुति शासन को भेजी है। इसके बाद से विभाग में जबरदस्त हलचल है।
FIR और EOW से जांच की मांग
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लोगों का कहना है कि दोषी एडीएम वर्तमान में सेवानिवृत्त हो चुके हैं, ऐसे में अनुशासनात्मक कार्यवाही के अलावा इनकी पेंशन व अन्य सुविधाओं को रोका जाय तथा इस अत्यंत गंभीर प्रकरण में FIR दर्ज कर मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा, यूपी (EOW) से करायी जाय।
मार्निंग वाक और भू-माफिया
कुंज बिहारी जब तक जिले में तैनात रहे मुख्यालय परिसर में मार्निंग वाक के नाम पर जिले के एक चर्चित भू-माफिया के साथ इनका गठजोड़ हर किसी के जुबां पर रहा। अगर इस चर्चित भू-माफिया के ऊपर जांच एजेंसियों ने अपना फंदा कस दिया तो इनके कार्यकाल के दौरान जिले में जमीनों के विभिन्न फैसलों से लेकर, रजिस्ट्री, स्टैम्प, खनन, स्थानीय निकाय, चकबंदी में एक बड़े संगठित अपराध का खुलासा होगा और कई सफेदपोश जेल की काल-कोठरियों में नजर आयेंगे।