Kerala Drug Crisis: नशे का बढ़ता कारोबार, जानिए केरल में बढ़ते ड्रग्स के मामलों के पीछे क्या है मुख्य कारण?
नशे की तस्करी एक गंभीर चुनौती बन चुकी है। इसके समाधान के लिए तस्करी के नए रास्तों पर निगरानी बढ़ाने, कानून को और सख्त बनाने और युवाओं को जागरूक करने की आवश्यकता है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की ये खास रिपोर्ट

तिरुवनंतपुरम: केरल हमेशा ही अपनी समृद्ध संस्कृति, उच्च शिक्षा दर और पर्यावरणीय सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध रहा है लेकिन अब यह राज्य एक नए संकट से जूझ रहा है। जो उसे सुर्खियों में ला रहा है। पिछले कुछ वर्षों में केरल में ड्रग्स के मामलों में भारी वृद्धि देखी गई है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, केरल में हो रहे इस संकट ने राज्य की राजनीति, प्रशासन और समाज को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। हाल ही में केरल हाई कोर्ट को भी ड्रग माफिया के खिलाफ चेतावनी देनी पड़ी। इसके अलावा पिछले महीने केरल विधानसभा में इस मुद्दे पर गहमागहमी हुई थी। यह राज्य जो सबसे अधिक शिक्षित माना जाता है। वहां नशे की समस्या इतनी बढ़ क्यों रही है और यह किस तरह से राज्य में फैल रही है? इन सवालों का जवाब आंकड़ों और विश्लेषण में छिपा है।
आंकड़ों में स्थिति
केरल में ड्रग्स का संकट अब पंजाब से भी ज्यादा गंभीर हो चुका है। पहले पंजाब को ही भारत में ड्रग्स का केंद्र माना जाता था, जहां पाकिस्तान से होते हुए ड्रग्स की तस्करी होती रही है। लेकिन अब केरल ने इस मामले में पंजाब को भी पीछे छोड़ दिया है। केरल में 2024 में NDPS एक्ट के तहत 27,701 ड्रग्स से संबंधित मामले दर्ज किए गए, जबकि पंजाब में यह आंकड़ा केवल 9,025 था। इस तरह से देखा जाए तो केरल में हर एक लाख आबादी पर 78 ड्रग्स के मामले दर्ज होते हैं, जबकि पंजाब में यह संख्या सिर्फ 30 है। तीन साल पहले इस आंकड़े में केवल 5,000 के करीब मामले थे, जो अब तेजी से बढ़कर हजारों तक पहुंच गए हैं। राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार पिछले पांच सालों में राज्य में 87,000 से अधिक ड्रग्स से संबंधित मामले सामने आ चुके हैं।
नशे की तस्करी के नए रास्ते
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केरल में नशीली दवाओं की तस्करी अब पुराने तरीके से हटकर नए रास्तों से हो रही है। पहले जहां ड्रग्स बड़ी खेप में राज्य में आते थे, अब तस्कर छोटे-छोटे पैमाने पर नशे की सप्लाई करने लगे हैं। इसके लिए उन्होंने ट्रेनों का सहारा लिया है। 2024 में केरल की ट्रेनों से 559 किलोग्राम मादक पदार्थ जब्त किया गया था। जिसकी अनुमानित कीमत लगभग तीन करोड़ रुपये थी। इसके अलावा 2025 के पहले दो महीनों में ही 421 किलोग्राम ड्रग्स जब्त किए गए। जिनकी कीमत सवा दो करोड़ रुपये के करीब थी। यह संकेत है कि नशे का तस्करी का तरीका अब काफी विकसित और संकीर्ण हो चुका है। इसके अलावा तस्कर अब डार्क वेब और एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप्स का भी इस्तेमाल करने लगे हैं, ताकि पुलिस के पकड़ने से बचा जा सके।
नशे की डिलीवरी
केरल में नशे की तस्करी अब ऐसी स्थिति में पहुंच गई है कि अब नशे की डिलीवरी भी ऑनलाइन फूड डिलीवरी की तर्ज पर हो रही है। डिस्ट्रीब्यूटर्स अब बाइक्स का इस्तेमाल करके ड्रग्स की सप्लाई करते हैं, और इन बाइक्स के नंबर फर्जी होते हैं। इसके अलावा इन डिस्ट्रीब्यूटर्स की उम्र ज्यादातर 18 से 24 साल के बीच होती है। वे अक्सर कपल के रूप में दिखावा करते हैं ताकि पुलिस से बच सकें। पुलिस और कानून से बचने के लिए तस्कर नए तरीके अपनाने लगे हैं। इसके अलावा राज्य की सीमाओं का भी ड्रग्स की तस्करी में उपयोग किया जा रहा है। तमिलनाडु-केरल सीमा से गांजा और मेथामफेटामाइन की तस्करी की जाती है, जबकि कर्नाटक-केरल सीमा से हेरोइन और कोकीन की तस्करी होती है।
इंटरनेशनल ड्रग्स तस्करी
केरल की तटीय सीमा भी अंतरराष्ट्रीय ड्रग्स तस्करी का एक प्रमुख मार्ग बन चुकी है। यहां तीन प्रमुख रास्तों से नशे का प्रवेश हो रहा है।
1. गोल्डन क्रिसेंट: अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान से हेरोइन और अन्य सिंथेटिक ड्रग्स केरल पहुंच रहे हैं।
2. गोल्डन ट्रायंगल: म्यांमार, थाईलैंड और लाओस से मेथामफेटामाइन जैसे ड्रग्स केरल में प्रवेश कर रहे हैं।
3. श्रीलंका और मालदीव: इन देशों के जरिए भी केरल में ड्रग्स की तस्करी हो रही है। कई बार मछुआरों के जाल में ड्रग्स के पैकेट भी पकड़े जा चुके हैं।
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नशे के बढ़ने की वजहें
केरल में ड्रग्स के बढ़ने का एक प्रमुख कारण यहां की उच्च डिस्पोजेबल इनकम है। यहां के लोग विदेशों में काम करते हैं और पैसे भेजते हैं। जिससे राज्य में रहने वाले युवाओं के पास खर्च करने के लिए अधिक पैसे होते हैं। इसके अलावा केरल एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जहां हर साल बड़ी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक आते हैं। फ्लोटिंग क्राउड के कारण विदेशी पर्यटक यहां नशे का सेवन करते हैं, जो स्थानीय लोगों में भी फैलने लगता है। इसके अलावा, कई पर्यटन स्थलों पर विदेशी नागरिक भी ड्रग सप्लाई के कारोबार में पकड़े गए हैं।
सरकार के प्रयास
केरल सरकार इस संकट से निपटने के लिए कई उपायों पर काम कर रही है। राज्य प्रशासन ने ड्रग्स के खिलाफ एक एंटी-नारकोटिक्स टास्क फोर्स बनाई है। इसके तहत विभिन्न विभागों के अधिकारियों को ड्रग्स से संबंधित विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें साइबर सर्वेलांस और फॉरेंसिक एनालिसिस भी शामिल है। इसके अलावा विजिलेंस कमेटी भी बनाई गई है। जो अलग-अलग जिलों में नशे के कारोबार पर नजर रख रही है। कुछ जिलों में ड्रग्स की तस्करी की सूचना देने पर 10,000 रुपये तक का इनाम भी रखा गया है।